बांके बिहारी मंदिर में कब मनाई जाएगी जन्माष्टमी, जानिए पूजा का शुभ मुहूर्त

Janmashtami 2025: भाद्रपद मास की अष्टमी की रात्रि को पूरे धूमधाम और उल्लास से जन्माष्टमी मनाई जाती है. जन्माष्टमी ना सिर्फ एक पर्व है बल्कि यह भगवान और भक्त के बीच प्रेम का ऐसा उत्सव है, जिसे अनुभव करने से दिल आनंद से भर उठता है.

Janmashtami 2025: भाद्रपद मास की अष्टमी की रात्रि को पूरे धूमधाम और उल्लास से जन्माष्टमी मनाई जाती है. जन्माष्टमी ना सिर्फ एक पर्व है बल्कि यह भगवान और भक्त के बीच प्रेम का ऐसा उत्सव है, जिसे अनुभव करने से दिल आनंद से भर उठता है.

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Nidhi Sharma
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Janmashtami 2025

Janmashtami 2025: बांके बिहारी मंदिर में त्रिदिवसीय जन्माष्टमी महोत्सव 15 से 17 अगस्त तक मनाया जाएगा. पंचांग अनुसार जन्माष्टमी का पावन पर्व भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र के शुभ संयोग में मनाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं अनुसार इसी तिथि और नक्षत्र में रात 12 बजे भगवान कृष्ण का जन्म हुआ था. वहीं मथुरा और वृंदावन में भगवान कृष्ण का 5,252वां जन्मोत्सव मनाया जाएगा. आइए आपको बताएंगे कि इस साल बांके बिहारी के मंदिर में किस दिन जन्माष्टमी मनाई जाएगी. 

जन्माष्टमी का महत्व

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वृंदावन स्थित बांके बिहारी मंदिर, भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम और भक्ति का एक अद्भुत केंद्र है. यहां जन्माष्टमी केवल एक त्यौहार नहीं, बल्कि एक दिव्य अनुभव है. पूरे मंदिर परिसर में भक्तों की भीड़, भजनों की मधुर गूंज और रात्रि भर चलने वाला कीर्तन, वातावरण को अद्वितीय बना देता है.

बांके बिहारी जी का विशेष श्रृंगार

इस दिन बांके बिहारी जी का विशेष शृंगार होता है. उन्हें नए वस्त्र, गहनों और फूलों से सजाया जाता है. रात 12 बजे, जैसे ही भगवान का जन्म महोत्सव आरंभ होता है, पूरा मंदिर "नंद के आनंद भयो" के जयकारों से गूंज उठता है. यहां की एक खास परंपरा यह है कि जन्माष्टमी पर भगवान को पालने में झुलाया जाता है, और भक्त अपने हाथों से झूला झुलाकर अपनी श्रद्धा अर्पित करते हैं.

मनुष्य के दुख दूर

माना जाता है कि जन्माष्टमी पर बांके बिहारी जी के दर्शन मात्र से मनुष्य के सारे दुख दूर होते हैं और जीवन में प्रेम, आनंद और सौभाग्य का संचार होता है. यह पर्व भक्त और भगवान के बीच प्रेम के उस अटूट बंधन को और मजबूत करता है, जो युगों से चला आ रहा है.

इस दिन मनाई जाएगी जन्माष्टमी

वृंदावन में जन्माष्टमी का मुख्य उत्सव इस बार 16 अगस्त, शनिवार को होगा. इस दिन मंदिर परिसर और आस-पास का हर कोना फूलों, रंग-बिरंगे पर्दों और दीपमालाओं से सजा होगा. रात ठीक 12 बजे बांके बिहारी मंदिर के गर्भगृह में ठाकुरजी का पंचामृत (दूध, दही, शहद, घी और गंगाजल) से अभिषेक किया जाएगा. इसके बाद भगवान को रेशमी वस्त्र पहन कर सोलह शृंगार से सजाया जाएगा. यह पूरा कार्यक्रम बेहद पारंपरिक और गोपनीय तरीके से होता है, और इस दौरान गर्भगृह के दर्शन आम भक्तों के लिए बंद रहते हैं. इसके साथ ही इस दिन साल में एक बार होने वाली जन्माष्टमी भी मनाई जाएगी. 

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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं. न्यूज नेशन इस बारे में किसी तरह की कोई पुष्टि नहीं करता है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.) 

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