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Nepal Politics: नेपाल में सत्ता परिवर्तन के कयास, प्रधानमंत्री प्रचंड की सरकार से चीन समर्थक ओली ने वापस लिया समर्थन

नेपाल में एक बार फिर सत्ता परिवर्तन हो सकता है. प्रधानमंत्री प्रचंड की पार्टी से पूर्व प्रधानमंत्री ओली शर्मा ने समर्थन वापस लेने की घोषणा कर दी हैै.

News Nation Bureau
| Edited By :
02 Jul 2024, 05:16:15 PM (IST)

काठमांडू :

नेपाल की राजनीति में खींचतान जारी है. प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल उर्फ प्रचंड की सरकार अब खतरे में है. नेपाली मीडिया ते अनुसार, पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की पार्टी सीपीएन-यूएमएल ने प्रंचड की पार्टी के साथ गठबंधन तोड़ने की घोषणा कर दी है. ओली का कहना है कि सरकार के पास अब बहुमत नहीं है. बता दें, ओली ने चार माह पहले ही प्रचंड की सरकार को समर्थन दिया था. उस वक्त उन्होंने शेर बहादुर देउबा की पार्टी से समर्थन वापस ले लिया था और उनकी सरकार को गिरा दिया था. 

जानें नेपाली संसद में किसके पास कितनी सीट
नेपाल में 20 नवंबर 2022 को आम चुनाव हुए थे. आम चुनावों में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिल पाया था. हालांकि, देउबा की नेपाली कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभर के सामने आई. देउबा की पार्टी को 89 सीटें मिलीं, ओली शर्मा की पार्टी को 78 और प्रचंड की पार्टी को 32. सबसे कम सीटें जीतकर भी प्रचंड 25 दिसंबर 2022 को नेपाल के प्रधानमंत्री बने. उन्होंने देउबा की पार्टी के साथ गठबंधन किया था. हालांकि, गठबंधन सरकार अधिक वक्त तक टिक नहीं पाई. 15 माह बाद मार्च 2024 को फूट के कारण गठबंधन टूट गया. प्रचंड ने फिर ओली के भरोसे सरकार बनाई, जिसके गिरने के अब आसार हैं. नेपाल में दो साल में तीसरी बार सत्ता परिवर्तन हो सकता है. 

देउबा-ओली के बीच हो सकता है समझौता
जानकारी के अनुसार, केपी शर्मा को चीन समर्थक नेता माना जाता है तो वहीं देउबा को भारत समर्थक नेता कहा जाता है. सूत्रों का कहना है कि देउबा और ओली के बीच दो दिन पहले रविवार को आधी रात में प्रधानमंत्री पद को लेकर चर्चा हुई है। नेपाली मीडिया के मुताबिक, डेढ़ साल केपी शर्मा नेपाल के प्रधानमंत्री बनेंगे और आगे के बचे हुए कार्यकाल में देउबा प्रधानमंत्री पद संभालेंगे. इस समझौते पर आज मुहर लग सकती है. 

सरकार बचाने की कोशिश कर रहे प्रचंड
तमाम खींचतानों के बीच, प्रचंड सरकार बचाने की खूब कोशिश कर रहे हैं. वे अब सहयोगी पार्टियों के अधिक सदस्यों को मंत्रिमंडल में शामिल करने की बात कर रहे हैं. हालांकि, नेपाल के राजनीतिक जानकारों का मानना है कि उनका यह प्रयास फेल हो सकता है.