राहु और केतु (Rahu-Ketu) को छाया ग्रह माना जाता है. सूर्य और चन्द्रमा (Surya and chandrama) के परिक्रमा मार्ग के कटान से ये दोनों पैदा हुए हैं. राहु स्वतंत्र रूप से शनि (Lord Shani) का तो केतु मंगल (Mangal) का प्रभाव रखता है. राहु किसी ग्रह के प्रभाव को कम करता है तो केतु उस उस प्रभाव को बढ़ाने का काम करता है. 23 सितंबर से राहु और केतु अपनी चाल बदलने जा रहे हैं. राहु-केतु के चाल बदलने से लोगों के ग्रह-नक्षत्र योग भी प्रभावित होंगे.
राहु व्यक्ति के जीवन और आदतों को दूषित कर देता है. यह आकस्मिक समस्याएं पैदा करता है. राहु के प्रभाव के चलते व्यक्ति मलिन और धूर्त हो जाता है. राहु के प्रभाव से व्यक्ति अज्ञात भय, अज्ञात रोग और आत्महत्या की तरफ भी बढ़ता चला जाता है. दूसरी ओर, केतु किसी भी रोग की संभावना को और प्रबल कर देता है. केतु के प्रभाव स्वरूप गंभीर विकार या किडनी के रोग और त्वचा की विचित्र समस्याएं पैदा होती हैं. केतु के प्रभाव में आकर तंत्र-मंत्र के रास्ते पर भी चल पड़ता है.
राहु-केतु के चाल बदलने के प्रभाव से बचने के लिए अपनी दिनचर्या में थोड़ा बदलाव कर सकते हैं. रोजाना तुलसी के पत्ते का सेवन करें. चन्दन का तिलक लगाएं. मांस-मदिरा और फ़ास्ट फ़ूड से जितना दूर रहें, उतना ही बेहतर. नियमित रूप से अपने आराध्य का मंत्र जप करें और जानकार की सलाह लेकर एक माणिक्य या मोती जरूर धारण करें.
यह जरूरी नहीं है कि राहु-केतु के प्रभाव से केवल अनिष्ट ही हो. कई बार राहु के प्रभाव से व्यक्ति आकस्मिक रूप से ऊंचाई पा जाता है और केतु भी अनुसंधान और रहस्य के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने में सहायक होता है. केतु के प्रभाव से व्यक्ति साहसी भी होता है. केतु व्यक्ति को धार्मिक स्थलों की यात्रा करवाने में भी सहायक होता है.
Source : News Nation Bureau