पुराने ज़माने में घर के हर एक कोने की पूजा की जाती थी. ये परंपरा सदियों से चली आ रही है कि जब भी सुबह की पूजा खत्म हो उसके बाद धुप या डीप घर के हर कोने में दिखाया जाता है. ऐसा इसलिए है क्योंकि घर के हर कोने में देवता निवास करते हैं. वास्तु शास्त्र( Vastu Shastra) के अनुसार घर की हर दिशा किसी न किसी देवता को समर्पित होती है. मान्यता है कि अगर उस दिशा में उनसे संबंधित चीज़ें या यंत्र रखे जाएं तो सकारात्मक और तरक्की मिलती है. घर की बढ़ाएं दूर होती हैं. वास्तु शास्त्र में एनर्जी को महत्व दिया गया है. आइए जानते हैं घर की कौन-सी दिशा का संबंध किस देवी-देवता से है.
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पूर्व दिशा
ज्योतिष और वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की पूर्व दिशा इंद्र और सूर्य देव का निवास माना जाता है. मान्यता है कि इस दिशा को खाली रखना चाहिए. सुख समृद्धि के लिए इस दिशा का ध्यान रखना जरूरी होता है. इस जगह पर सूर्य की रौशनी जरूर आनी चाहिए.
पश्चिम दिशा
पश्चिम दिशा में वरुण देव का निवास होता है. इस दिशा में बाथरूम या किचन बनवाना सही रहता है. पश्चिम दिशा के स्वामी शनि ग्रह हैं.
उत्तर दिशा
घर की उत्तर दिशा में कुबेर देव का निवास होता है. इसे धन लाभ की दिशा माना जाता है. इस दिशा में आलमारी, तिजोरी रखना शुभ है. इससे धन में वृद्धि होती है. उत्तर दिशा के स्वामी बुध ग्रह हैं.
दक्षिण दिशा
दक्षिण दिशा का स्वामी यमराज है. यह मृत्यु के देवता हैं. इस दिशा को कभी खाली नहीं रखना चाहिए. इस दिशा का स्वामी ग्रह मंगल माना जाता है. इस जगह को कभी खाली नहीं रखना छाइये. इस दिशा में आप कुछ भारी सामान रख सकते हैं.
ईशान कोण
घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोण को ईशान कोण कहा जाता है. इस दिशा के अधिपति भगवान शिव हैं और स्वामी ग्रह गुरु हैं. मान्यता है कि ईशान कोण में पूजा घर बनवाना शुभ होता है. इस दिशा में मंदिर होने से जल्दी तैराकी मिलती है और जिंदगी से साड़ी बढ़ाएं दूर होती हैं.
वायव्य कोण
घर के पश्चिम-उत्तर दिशा के कोण को वायव्य कोण कहते हैं. वायव्य कोण के देवता वायु देव हैं. ज्योतिष अनुसार वायव्य कोण में स्टोर रूम, बाथरूम आदि बनवाना चाहिए. चन्द्रमा इस दिशा का स्वामी है.
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Source : News Nation Bureau