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कुंडली में ये दो बड़ी दिक्‍कतें होने से दांपत्‍य जीवन में पैदा हो सकती हैं बड़ी समस्‍या

कहते हैं जोड़ियां स्‍वर्ग में बनाई जाती हैं. आप चाहे कितनी भी गणना-मणना कर लें, शादी वहीं होती है जहां ऊपरवाला तय करता है. इसलिए कोई भी शादी गलत या सही नहीं होती, फिर भी हम सुखी वैवाहिक जीवन के लिए तमाम कोशिशें करते हैं.

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Sunil Mishra
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कुंडली में दो दिक्‍कतें होने से दांपत्‍य जीवन में हो सकती है समस्‍या( Photo Credit : File Photo)

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कहते हैं जोड़ियां स्‍वर्ग में बनाई जाती हैं. आप चाहे कितनी भी गणना-मणना कर लें, शादी वहीं होती है जहां ऊपरवाला तय करता है. इसलिए कोई भी शादी गलत या सही नहीं होती, फिर भी हम सुखी वैवाहिक जीवन के लिए तमाम कोशिशें करते हैं. शादी हो जाने पर दांपत्‍य जीवन में कोई समस्‍या आती है तो उसका कारण ढूंढकर निवारण भी किया जाता है. आज हम बताएंगे कि सुखी दांपत्‍य जीवन में आपकी कुंडली में दो बड़े दोष मुख्‍य कारक होते हैं और उसका निवारण कैसे किया जा सकता है. 

ग्रह मैत्री : कुंडली में अगर ग्रह मैत्री न हों तो पति-पत्नी के विचार आपस में टकराते हैं. दोनों बेवजह मिलकर एक-दूसरे के पीछे पड़े रहते हैं और एक-दूसरे की बात काटते हैं. इसके अलावा छोटी-छोटी बातों पर झगड़ते रहते हैं. जब ऐसे हालात बनें तो पति-पत्नी को अपना नाम ग्रह मैत्री वाला रख लेना चाहिए और उसी नाम से पुकारने की कोशिश करनी चाहिए. 

मांगलिक : पति-पत्‍नी के जीवन में उस समय भी संकट खड़ा हो सकता है, जब किसी एक की कुंडली मांगलिक हो और दूसरे की न हो. ऐसी स्‍थिति में पति और पत्‍नी के बीच विवाद की स्‍थिति पैदा करती है. ऐसे में तो कभी-कभी हिंसा, वाद-विवाद और केस-मुकदमा की भी नौबत आ जाती है. इसके अलावा दोनों में से किसी एक का स्‍वास्‍थ्‍य गड़बड़ रहता है. अगर ऐसी स्‍थिति हो तो पति-पत्नी को साल में एक बार रुद्राभिषेक जरूर कराना चाहिए. पति-पत्नी दोनों घर में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें. मांगलिक पक्ष को किसी जानकार से सलाह लेकर ओपल या मोती धारण करनी चाहिए.

गुरु चांडाल योग : कुंडली में गुरु चांडाल योग होने पर दो विवाह की संभावना बनती है. चरित्र दोष या फिर आपस में विश्‍वास की कमी के कारण पहली शादी टूट जाती है. गुरु चांडाल योग जिनकी कुंडली में होता है, उसके जीवनसाथी के जीवन पर संकट भी आ सकता है.  गुरु चांडाल योग का निवारण करने के लिए सुबह-शाम यथाशक्ति भगवान शिव की उपासना करें. सप्ताह में एक दिन भगवद्गीता का पाठ करें और किसी जानकार से सलाह लेकर पन्ना धारण करें. मांसाहार या किसी भी तामसी भोजन से दूर रहें.

Source : News Nation Bureau

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