फोर्ड मोटर कंपनी ने भारत में अपने दोनों मैन्युफैक्चरिंग प्लांट बंद करने का फैसला किया है. कंपनी की भारतीय यूनिट देश में बिक्री के लिए व्हीकल्स की मैन्युफैक्चरिंग को हमेशा के लिए बंद करने का निर्णय लिया है. इससे पहले अमेरिका की जनरल मोटर्स ने भी 2017 में देश में कारों की बिक्री बंद की थी. दुनिया की बड़ी ऑटोमोबाइल कंपनियों में शामिल फोर्ड की लोकल यूनिट घाटे में चल रही थी और कोरोना के कारण हुई मुश्किलों से इसका नुकसान बढ़ा था. कंपनी जुलाई तक अपनी 4,50,000 यूनिट्स की इंस्टॉल्ड कैपेसिटी के लगभग 20 प्रतिशत पर ही चल रही थी. फोर्ड ने 1990 के दशक में भारत में बिजनेस की शुरुआत की थी. हालांकि, दो दशक से अधिक की मौजूदगी के बाद भी यह सफल नहीं हो सकी. इसका मार्केट शेयर केवल 1.57 प्रतिशत का था। यह देश की कार कंपनियों में नौवें स्थान पर थी.
भारत में कंपनी फिगो, एस्पायर, फ्रीस्टाइल, इकोस्पोर्ट और एंडेवर मॉडल्स बेचती है. इनकी प्राइस रेंज 7.75 लाख रुपये से 33.81 लाख रुपये की है. फोर्ड ने एसयूवी सेगमेंट में बड़ी हिस्सेदारी रखने वाली महिंद्रा एंड महिंद्रा के साथ कुछ वर्ष पहले पार्टनरशिप करने की थी लेकिन इस वर्ष की शुरुआत में दोनों कंपनियों ने इसे तोड़ने का फैसला किया.
साणंद और चेन्नई स्थित संयंत्र होंगे बंद
कंपनी की ओर से कहा गया है कि साणंद और चेन्नई में अपने दो संयंत्रों को बंद कर देगी। कंपनी की ओर से कहा गया कि भारी संचित नुकसान और एक कठिन बाजार में विकास की कमी के कारण यह मजबूर निर्णय लिया गया है. अमेरिकी कंपनी ने एक बयान में कहा कि फोर्ड 2021 की चौथी तिमाही तक गुजरात के साणंद में निर्यात के लिए वाहन निर्माण और चेन्नई में वाहन और इंजन निर्माण को 2022 की दूसरी तिमाही तक बंद कर देगी. यह वैश्विक ऑटोमोटिव ब्रांड द्वारा भारत में स्थानीय विनिर्माण कार्यों का दूसरा प्रमुख निकाय है. फोर्ड से कुछ साल पहले भारत में प्रवेश करने वाली अमेरिकी दिग्गज जनरल मोटर्स ने 2017 में भारत में कारों की बिक्री बंद कर दी थी. कंपनी की ओर से कहा गया कि पिछले 10 वर्षों में 2 बिलियन डॉलर से अधिक के घाटे और 2019 में 0.8 बिलियन डॉलर की गैर-ऑपरेटिंग संपत्ति के बाद फोर्ड को भारत में एक स्थायी रूप से लाभदायक व्यवसाय बनाने के लिए एक पुनर्गठन करने के लिए मजबूर किया गया है.
क्या कहा फोर्ड मोटर कंपनी के अध्यक्ष
फोर्ड मोटर कंपनी के अध्यक्ष और फोर्ड मोटर कंपनी के सीईओ जिम फार्ले ने कहा, अपनी फोर्ड योजना के हिस्से के रूप में हम एक स्थायी रूप से लाभदायक व्यवसाय को एक कठिन लेकिन आवश्यक कार्रवाई कर रहे हैं. साथ ही सही क्षेत्र में अपनी पूंजी को बढ़ाने के लिए आवंटित कर रहे हैं. फोर्ड इंडिया ने कहा कि उसने कई विकल्पों की जांच के बाद ये कार्रवाई की, जिसमें साझेदारी, प्लेटफॉर्म शेयरिंग, अन्य ओईएम के साथ अनुबंध निर्माण और अपने विनिर्माण संयंत्रों को बेचने की संभावना शामिल है, जो अभी भी विचाराधीन है. इस फैसले से लगभग 4,000 कर्मचारियों के प्रभावित होने की आशंका है. कंपनी ने कहा कि फोर्ड चेन्नई और साणंद में कर्मचारियों, यूनियनों, आपूर्तिकर्ताओं, डीलरों, सरकार और अन्य हितधारकों के साथ मिलकर काम करेगी ताकि निर्णय के प्रभावों को कम करने के लिए एक निष्पक्ष और संतुलित योजना विकसित की जा सके. फोर्ड इंडिया दिल्ली, चेन्नई, मुंबई, साणंद और कोलकाता में पुर्जे डिपो का रखरखाव करेगी और अपने डीलर नेटवर्क के साथ मिलकर काम करेगी ताकि बिक्री और सेवा से पुर्जों और सेवा समर्थन में उनके संक्रमण को सुविधाजनक बनाने में मदद मिल सके.
HIGHLIGHTS
- गुजरात और चेन्नई स्थित दो प्लांट होंगे बंद
- लगभग 4000 हजार कर्मचारी होंगे प्रभावित
- अरबों डॉलरों के नुकसान के बाद लिया यह फैसला