अब वाहन में 6 बैग होना अनिवार्य नहीं है! सड़क परिवहन मंत्रालय द्वारा जारी इस हालिया बयान के बाद, एकबार फिर एयर बैग की चर्चा सुर्खियों में है. दरअसल आजकल से नहीं, बल्कि लंबे समय से एयर बैग के सिसटम को लेकर लोगों के मन में उत्सुक्ता बरकरार है. मसलन ये क्या होता है, कैसे काम करता है और ये क्यों जरूरी है. ऐसे में इस आर्टिकल में इन तमाम सवालों के सटीक जवाब जानेंगे. साथ ही समझेंगे कि क्या एयर बैग के लिए कोई नियम भी है? तो चलिए बताते हैं...
दरअसल एयर बैग पूरी तरह से ऑटोमेटिक वर्क करता है, यानि साधारण परिस्थितियों में वो वाहन में नजर ही नहीं आता, मगर दुर्घटना के स्थिति में ये कार की सीट और स्टीयरिंग से अपने आप बाहर आ जाता है. ऐसे में इसकी बनावट से लेकर, रिस्पॉन्स सिसटम तक सभी कुछ बहुत ही ध्यान से तैयार किया जाता है.
यूं तैयार होता है एयर बैग?
मुख्यत: एयर बैग को तैयार करने में तीन भाग होते हैं, जो यात्री को किसी भी दुर्घटना के स्थिति में सुरक्षा प्रदान करते हैं. इसमें पहला होता है इन एयर बैग की बनावट, दरअसल ये एक पतले, नायलॉन के कपड़े से बने होते हैं, जिससे दुर्घटना के स्थिति में यात्री सुरक्षित रहता है.
दूसरा होता है सेंसर, इसी के वजह से दुर्घटना के स्थिति में ये एयर बैग अपने आप फूल जाते हैं, जो सुरक्षा निश्चित करता है. वहीं इस सिसटम का तीसरा हिस्सा होता है इसकी जगह, जो इस ढंग से तैयार की जाती है, जिससे दुर्घटना की स्थिति में यात्री में कम से कम नुकसान हो. ये अभी-अभी की गाड़ियों में स्टीयरिंग व्हील या डैशबोर्ड या हाल ही में सीट या दरवाजे में मोड़ा जाता है. बता दें कि ये सबकुछ एक सेकंड के एक अंश में होता है. ऐसे में आजकल वाहनों को कुछ इस तरह से तैयार किया जा रहा है, ताकि यात्री को ज्यादा से ज्यादा सुरक्षा दी जा सके.
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