देश की अर्थव्यवस्था में अहम रोल निभाने वाला ऑटो सेक्टर मंदी के दौर से गुज़र रहा है. आकड़े बताते हैं कि अब तक करीब 3.5 लाख नौकरियां इस सेक्टर से जा चुकी है और आगे भी करीब 9 लाख नौकरियों पर संकट के बादल बढ़ते जा रहे हैं. सिर्फ कार, बाइक बनाने वाली कंपनियां ही नहीं बल्कि इससे जुड़े ऑटो पार्ट्स का धंधा भी मंदा है. करीब 150 से ज़्यादा ऑटो सेक्टर से जुड़ी ऑटो पार्ट्स की कंपनियां है जो छोटे-छोटे कंपोनेंट बनाती है इनकी सेल्स में भी भारी गिरावट है जिसके यहां भी बड़ी संख्या में छंटनी होने की उम्मीद है.
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सरकार ने मंगाई रिपार्ट
सूत्र बता रहे हैं कि मोदी सरकार ने इस मामले पर वित्त मंत्रालय और भारी उद्योग मंत्रालय से रिपोर्ट मंगाई है जिसमें किस कंपनी से कितनी छटनी हुई, कितना घाटा हुआ और इसके क्या वैश्विक कारण हैं या फिर घरेलू कारण इस पर जानकारी मांगी है ऐसे में सरकार जल्द राहत पैकज की घोषणा भी कर सकती है जिससे ऑटो सेक्टर को रिवाइव किया जा सके हालांकि इस मामले पर अभी ये तय नहीं है कि राहत पैकज के तौर पर सरकार क्या करेगी.
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क्या इलेक्ट्रिक कारों पर सरकार के जोर की वजह से है मंदी
ऐसे में सवाल ये खड़ा होता है कि हाल ही में सरकार की तरफ से लिए गए ऑटो सेक्टर के लिए फैसले इस मंदी के बड़े कारण है. इलेक्ट्रिक कारों को लेकर सरकार का फरमान और 2025 का टारगेट ऑटो कंपनियों को परेशानी में डाल चुका है.
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कार और बाइक की सेल में गिरावट
हाल ही में सियाम ने ऑटो सेक्टर में गिरती सेल्स के आंकड़े पेश किए जिसमे करीब 16 से 32 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है इससे कंपोनेंट बाजार भी सुस्त हो चुका है.