भारत में कार क्रांति की शुरुआत की थी मारुति सुजूकी ने. फिर इस बाजार में आया टाटा मोटर्स. इन दोनों कार कंपनियों ने जितने घरों के चार पहिये में चलने का सपना पूरा किया, वो दुनिया की कोई भी कंपनी नहीं कर सकी. आज भारत दुनिया में कारों के सबसे बड़े बाजारों में से एक है. भारत में दुनिया की सबसे महंगी कारें हैं, तो सबसे सस्ती भी. इसी कड़ी में एक क्रांति की तरह थी टाटा नैनो (TATA NANO), जिसे हर भारतीय घर में पहुंचाने का सपना देखा था रतन टाटा. उन्होंने अब बताया है कि क्यों टाटा नैनो की कीमत इतनी कम रखी गई थी कि इसे आम आदमी भी खरीद सके और क्यों उन्होंने इस आम आदमी की कार के तौर पर लॉन्च किया था.
भारत एक विकासशील देश है. विकसित देशों की तुलना में क्रयशक्ति भारत में कम मानी जाती है. भारत मोटरसाइकिलों के मामले में दुनिया भर में अव्वल है. हर घर में अब मोटरसाइकिल पहुंच चुकी है. हालांकि कारों की पहुंच भी बढ़ी है, लेकिन लगातार कारों की बढ़ती कीमतों, ईंधन की बढ़ती कीमतों की वजह से परेशानी भी बढ़ी है. मध्यम और निम्न मध्यम आय वर्ग के लोग अब भी सस्ते परिवहन के लिए कार की तुलना में बाइक्स को तरजीह देते हैं. सड़कों पर चल रही जिन बाइकों पर परिवार बैठा होता है, उसमें कई बार मियां-बीबी के अलावा एक-दो बच्चे भी होते हैं. ऐसे ही परिवारों को देखने के बाद रतन टाटा ने ऐसी कार बनाने के बारे में सोचा, जो कम बजट में हो और आम आदमी के बस में हो. उसकी कीमत मोटर साइकिल के आसपास हो. इस बीच रतन टाटा ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट साझा किया है, जिसमें उन्होंने बताया है कि आखिर क्यों उन्होंने नैनो के लिए बड़ा निवेश किया. उन्होंने लिखा है कि भारतीय परिवारों को एक ही दोपहिया वाहन में तीन और कभी-कभी इससे भी अधिक लोगों के साथ देखा. वे खतरनाक फिसलन भरी सड़कों पर चले गए. फिर उन्होंने बताया कि कैसे वह इसे बदलना चाहते हैं और टू-व्हीलर को सुरक्षित बनाना चाहते हैं. हालांकि, उन्होंने अंततः इसके बजाय एक कार लॉन्च करने का फैसला किया.
पढ़ें-रतन टाटा का भावुक पोस्ट
अपने पोस्ट में रतन टाटा ने लिखा है, 'जिस चीज ने मुझे वास्तव में प्रेरित किया, और इस तरह के एक वाहन का उत्पादन करने की इच्छा जगाई, वह लगातार भारतीय परिवारों को स्कूटर पर देख रहा था, शायद बच्चे को मां और पिता के बीच सैंडविच, जहाँ भी वे जा रहे थे, अक्सर सवारी करते थे. फिसलन भरी सड़कों पर. स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर में होने के लाभों में से एक, इसने मुझे फ्री होने पर डूडल बनाना सिखाया था. पहले तो हम यह पता लगाने की कोशिश कर रहे थे कि दोपहिया वाहनों को कैसे सुरक्षित बनाया जाए, डूडल चार पहिये बन गए, न खिड़कियां, न दरवाजे, बस एक बुनियादी टिब्बा बग्गी. लेकिन मैंने आखिरकार फैसला किया कि यह एक कार होनी चाहिए. नैनो हमेशा से हमारे सभी लोगों के लिए थी.'
टाटा ने 10 सालों तक बनाया नैनो
बता दें कि टाटा नैनो को साल 2008 में महज 1 लाख रुपये की चौंकाने वाली कीमत पर लॉन्च किया गया था. कंपनी को अपने उत्पाद पर भरोसा था और उसने हर साल लगभग 2.5 लाख यूनिट बेचने की योजना बनाई थी. हालांकि, ऐसा नहीं हो सका और अगले 10 सालों तक नैनो का उत्पादन जारी रहा, फिर उसे बंद कर दिया गया.
HIGHLIGHTS
- रतन टाटा ने लिखा भावुक पोस्ट
- नैनो कार बनाने के पीछे का आइडिया बताया
- साल 2008 में लॉन्च हुई थी टाटा नैनो
Source : Shravan Shukla