सेमीकंडक्टर चिप की कमी ने भारत में ऑटोमोबाइल उत्पादन प्रभावित हुआ है. आर्थिक सर्वेक्षण वित्त वर्ष 2022 में यह जानकारी दी गई है. महामारी के दौरान सेलफोन और लैपटॉप जैसे व्यक्तिगत इलेक्ट्रॉनिक्स की मांग में तेजी से वृद्धि हुई है. तकनीकी आधार पर, सेमीकंडक्टर अहम भूमिका निभाते हैं. वे किसी भी वाहन में सभी प्रकार के सेंसर और नियंत्रण का अभिन्न अंग हैं. इस समय दुनिया चिप की कमी से गुजर रही है, इस कारण 169 इंडस्ट्री का बुरा हाल हो चुका है. ये संकट कोरोना वायरस की कारण पैदा हुआ है. इन चिप का उपयोग कार, मोबाइल, लैपटॉप, डेटा सेंटर, टैबलेट समेत कई सारे गैजेट्स में किया जाता है. इस आपदा को अवसर में बदलने को लेकर भारत सरकार ने सेमीकंडक्टर चिप के निर्माण पर बड़ा फैसला लिया है.
सेमीकंडक्टर के निर्माण को लेकर बड़ी मात्रा में पूंजी की जरूरत होती है और इसकी औसत अवधि 6-9 माह की होती है. इसके अलावा लगभग 18-20 सप्ताह का उत्पादन चक्र काफी लंबा होता है. रिपोर्ट में कहा गया है कि माइक्रोचिप्स और सेमीकंडक्टर्स का ऑटोमोटिव उद्योग में लगभग 4.7 प्रतिशत हिस्सा है.
क्या होती है सेमीकंडक्टर चिप
दुनियाभर में लैपटॉप, स्मार्टफोन, मशीन के बिना सभी काम अधुरे रह जाएंगे. ऐसे में ये गैजेट्स और मशीन हर किसी के पास मिल जाएंगी. ये कंप्यूटर, लैपटॉप, स्मार्ट कार, वॉशिंग मशीन, ATM, अस्पतालों की मशीन से लेकर हाथ में स्मार्टफोन में सेमीकंडक्टर की बेहद जरूरत पड़ती है. सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चर्स (एसआईएएम) के आंकड़ों के अनुसार, कार निर्माताओं ने दिसंबर 2021 में घरेलू बाजार में 2,19,421 यात्री वाहनों की बिक्री की, जो कि 13 प्रतिशत (साल दर साल) कम है. "यह मांग की समस्या नहीं है, बल्कि आपूर्ति-पक्ष का मुद्दा है. विभिन्न कार निर्माता की वेबसाइटों की जानकारी से पता चलता है कि दिसंबर 2021 तक 7 लाख से ज्यादा ऑर्डर लंबित पड़े थे."
HIGHLIGHTS
- तकनीकी आधार पर, सेमीकंडक्टर अहम भूमिका निभाते हैं
- दुनिया चिप की कमी से गुजर रही है,169 इंडस्ट्री का बुरा हाल
- सेमीकंडक्टर के निर्माण पर बड़ी मात्रा में पूंजी की जरूरत होती है