उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने शुक्रवार को कहा कि दिल्ली में नगर निगम की जरूरी सार्वजनिक सेवाओं के लिये इस साल 31 मार्च 2020 को अथवा उससे पहले खरीदे गये बीएस-4 वाहनों (BS-IV Vehicles) का पंजीकरण होना चाहिये. शीर्ष अदालत ने अक्टूबर 2018 में कहा था कि एक अप्रैल 2020 से देश में किसी भी बीएस-4 उत्सर्जन मानक वाले वाहन की बिक्री और पंजीकरण नहीं होगा. वर्ष 2016 में केंद्र सरकार ने बीएस-5 उत्सर्जन मानक को दरकिनार करते हुए 2020 से सीधे बीएस-6 उत्सर्जन मानक को अपनाने की घोषणा की.
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एक अप्रैल 2020 से बीएस-छह मानक अमल में आए
बीएस (भारत स्टेज) मानकों को वाहनों के लिए यूरोप में बनाए गए उत्सर्जन मानकों के आधार पर तैयार किया गया है. यह किसी वाहन से निकलने वाले प्रदूषण को विनियमित करने की व्यवस्था है. प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति एस. ए. बोबड़े की अध्यक्षता वाली पीठ अनिवार्य सार्वजनिक सेवाओं के लिए उपयोग में लाये जाने वाले तीन प्रकार के वाहनों सीएनजी, बीएस-4 और बीएस-6 के पंजीकरण संबंधी याचिका की सुनवाई कर रही थी. पीठ में न्यायमूर्ति ए. एस. बोपन्ना और वी. रामसुब्रहमण्यम शामिल हैं. पीठ ने इस बात पर भी गौर किया कि बीएस-छह मानक एक अप्रैल 2020 से अमल में आये हैं और उससे पहले 31 मार्च तक खरीदे गये वाहन बीएस- चार मानक वाले रहे हैं. पीठ ने कहा कि जहां तक सीएनजी वाहनों के पंजीकरण की बात है तो इस पर रोक लगाने की कोई मान्य वजह नहीं हो सकती, क्योंकि इनसे होने वाला उत्सर्जन सीमा के भीतर होता है. ऐसे में हम निर्देश देते हैं कि इन वाहनों का पंजीकरण किया जाना चाहिये.
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इसी तरह यह मानते हुये कि बीएस-6 वाहनों से होने वाला उत्सर्जन भी तय नियमों के दायरे में होता है इसलिये एक अप्रैल 2020 या उसके बाद खरीदे गये बीएस- छह अनुपालन वाले वाहन भी पंजीकरण योग्य है. शीर्ष अदालत ने कहा कि बीएस-4 वाहनों के संदर्भ में 31 मार्च या उससे पहले खरीदे गए वाहनों को सरकार के ई-वाहन पोर्टल पर पंजीकृत किया गया होगा, जिससे कि उनके खरीदे जाने की तिथि को सत्यापित किया जा सके. पीठ ने कहा कि यदि खरीद 31 मार्च 2020 को अथवा उससे पहले की गई है और ये वाहन बीएस- चार उत्सर्जन मानक वाले हैं, और ये वाहन नगन निगम की आवश्यक सार्वजनिक सेवाओं के लिये हैं तो इनका पंजीकरण किया जाना चाहिये, लेकिन ऐसे मामलों की पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण प्राधिकरण (ईपीसीए) द्वारा जांच की जानी चाहिये.
पीठ ने कहा कि अदालत के समक्ष कवल पंजीकरण के लिये बार बार आवेदन दायर किये जा रहे हैं, इससे बचने के लिये कि हम ईपीसीए को निर्देश देते हैं कि वह लंबित मामलों की जांच कर न्यायालय में रिपोर्ट दाखिल करे ताकि बीच बीच में आने वाले तमाम आवेदनों की आवश्यकता के बिना एक साझा आदेश दिया जा सके. शीर्ष न्यायालय के समक्ष वाहनों से प्रदूषण फैलने का यह मुद्दा दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में वायु प्रदूषण से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान उठा है.