Challenges of EV Cars : ईवी कारों की सच्चाई, ये खामियां देंगी आपको चौंका!

क्या आप EV कार खरीदने जा रहे हैं? अगर हां, तो इस खबर को पढ़ने के बाद आपको ईवी कारों के बारे में बेहतर जानकारी मिल सकती है.

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Ravi Prashant
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Challenges of EV cars

ईवी कारों की चुनौतियां( Photo Credit : News Nation)

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Explained : क्या आप इलेक्ट्रिक कार खरीदने की सोच रहे हैं? अगर हां तो ये खबर आपके काम की है. आज इस खबर में हम आपको बताएंगे कि इलेक्ट्रिक कार खरीदने से पहले आपको किन बातों का ध्यान रखना चाहिए. आज  की तारीख में इलेक्ट्रिक कारों पर लोगों की निर्भरता तेजी से बढ़ती जा रही है. लोग इलेक्ट्रिक कारें तो खरीद रहे हैं लेकिन अभी लोगों के मन में इलेक्ट्रिक कारों को लेकर सवाल है कि क्या ये धोखा तो नहीं देंगी? तो आइये जानते हैं. इलेक्ट्रिक कारें न केवल पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में मदद कर रही हैं. ये भी संकेत देती हैं कि भविष्य की परिवहन प्रणाली किस दिशा में जा रही है. हालांकि, इनके फायदों के बावजूद, ईवी के कुछ प्रमुख खामियां भी हैं जिन्हें ध्यान में रखना आवश्यक है.

लंबी दूरी के लिए क्या अभी सही नहीं?

इलेक्ट्रिक कारों की बैटरी रेंज अभी भी एक बड़ी चुनौती है. अधिकांश ईवी एक बार चार्ज करने पर लगभग 150-300 मील की दूरी तय कर सकती हैं. ऐसे में लोग लंबी दूरी की यात्रा करने पर संकोच कर रहे हैं, खासकर जब चार्जिंग स्टेशन दूर-दूर होते हैं. पेट्रोल या डीजल कारों के मुकाबले, ईवी को चार्ज करने में काफी अधिक समय लगता है.

एक सामान्य होम चार्जर से एक इलेक्ट्रिक कार को फुल चार्ज करने में 6-12 घंटे का समय लगता है, जबकि फास्ट चार्जर से यह समय कम होता है, लेकिन यह भी लगभग 30-60 मिनट का होता है. चार्जिंग स्टेशन की उपलब्धता अभी भी एक बड़ी समस्या है. ग्रामीण और दूर-दराज के क्षेत्रों में चार्जिंग स्टेशन की कमी है, जिससे लंबी यात्राओं की योजना बनाना फिलहाल के लिए कठिन है.

ईवी कारों के दाम सामान्य नहीं

ईवी की शुरुआती खरीद कीमत पारंपरिक पेट्रोल और डीजल कारों की तुलना में अधिक होती है. हालांकि, सरकार द्वारा दिए जाने वाले सब्सिडी और टैक्स ब्रेक्स इस अंतर को कम करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन यह अभी भी कई उपभोक्ताओं के लिए एक प्रमुख बाधा है. साथ ही ईवी की बैटरी की लाइफ काफी कम होती है, और इसे बदलना महंगा है. बैटरी की कीमत कार की कुल लागत का एक बड़ा हिस्सा होता है, जिससे लंबे समय में रखरखाव लागत बढ़ जाती है.

रीसाइकिल्ड करना इतना आसान नहीं

ठंडे मौसम में बैटरी का प्रदर्शन गिर सकता है. बैटरी का तापमान गिरने पर उनकी क्षमता कम हो जाती है, जिससे रेंज भी कम हो जाती है. ईवी की टोइंग कैपेसिटी सामान्य वाहनों की तुलना में कम होती है. भारी वस्तुओं को खींचने में उनकी क्षमता सीमित होती है, जिससे यह विकल्प कुछ विशेष उद्देश्यों के लिए उपयुक्त नहीं हो सकता है.

बैटरी उत्पादन का पर्यावरणीय प्रभाव बहुत बड़ा हो सकता है. लिथियम, कोबाल्ट और अन्य धातुओं का खनन पर्यावरणीय क्षति पहुंचा सकता है और इसे प्रदूषण में योगदान कर सकता है. बैटरी की लाइफ के अंत में इसे सुरक्षित रूप से नष्ट करना या रीसाइकिल्ड करना भी एक चुनौती है. अगर इसे सही ढंग से नष्ट नहीं किया जाता है, तो यह पर्यावरण के लिए हानिकारक हो सकता है.

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कई फायदे हैं

इसमें कोई शक नहीं है कि इलेक्ट्रिक कारों के बहुत सारे फायदे हैं, लेकिन इनकी खामियां भी ध्यान में रखने लायक है. बैटरी रेंज, चार्जिंग इंफ्रास्ट्रक्चर, हाई प्राइस, वर्किंग और पर्यावरणीय प्रभाव जैसे मुद्दे ईवी को अपनाने में बाधा उत्पन्न कर सकते हैं. हालांकि, तकनीकी उन्नति और सरकारी सहयोग से इन खामियों को कम किया जा रहा है. आने वाले समय में ईवी बेहतर साबित हो सकता है लेकिन फिलहाल ईवी के साथ ये मुख्य चुनौतियां हैं.

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Source : News Nation Bureau

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