भारत में ऑटोमोबाइल कंपनियां एक तरफ नए मॉडल लांच करके ग्राहकों को लुभा रहीं हैं तो दूसरी तरफ पुराने मॉडल्स को अपडेट कर रही हैं. इसके चलते कुछ ग्राहक नए मॉडल लेने के लिए अपनी कार को एक से दो साल के अन्दर ही रीसेल में डाल देते हैं जिससे सेकेंड हैंड कारो का बाजार भी दना-दन चलता रहता है.
हालांकि कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो किसी अन्य कारणो ये अपनी कार को बेच देते हैं. खैर, वजह चाहे जो भी हो सेकेंड हैंड कार खरीदने में कोई बुराई नहीं है बस आपको कुछ चीजो की जानकारी होना आवश्यक है. अगर आपको नहीं पता है तो जान लिजिए सेकेंड हैंड कार खरीदने से पहले किन बातों का ध्यान रखना जरुरी है.
रूरत को देखकर खरीदें कार
ग्राहक को सबसे पहले अपनी जरूरत को ध्यान में रखकर पुरानी कार खरीदने का प्लान बनाना चाहिए. मतलब आपको कैसी कर सूट करेगी. मसलन बड़े परिवार के लिए कार के साइज और बजट का ख्याल रखना होगा. ऐसा करने से आप एक प्रशिक्षित डीलर से बेहतर ढ़ंग से कार की खरीदारी कर पाएंगे और डीलर आपको अपनी शर्तों पर कार खरीदने को मजबूर नहीं कर सकेगा.
बजट तय करें
ऑनलाइन और ऑफलाइन रिसर्च के जरिए आपको पुरानी कार खरीदने की प्राइस रेंज का अंदाजा लगा सकते हैं. ऐसे में अब आपको अपने बजट के बारे में प्लान करना आसान हो जाएगा कि कितने बजट में कार खरीदनी है. साथ ही यूज्ड कार लोन के ब्याज का कैलकुलेशन करना होगा. आमतौर पर नई कार के मुकाबले पुरानी पर ज्यादा इंटरेस्ट रेट देना होता है. अगर फाइनेंस कराना जरूरी है, तो शार्ट टर्म लोन कम ब्याज दर पर उपलब्ध होते हैं.
कार की जांच
कार के चुनाव के बाद उसकी जांच जरूरी होती है. ऐसे में अपने भरोसेमंद कार जानकार से खरीदारी से पहले जांच करा लेना चाहए. आमतौर पर सेलर भरोसा दिलाते हैं, कि कार में कोई भी मैकेनिकल खराबी नहीं है. लेकिन आपको अपने विश्वासपात्र सूत्र से इसकी जानकारी लेनी चाहिए. ज्यादा बेहतर होगा कि कार एक भरोसेमंद से खरीदी जाएं.
टेस्ट ड्राइव
कार खरीदारी से पहले ग्राहक को वाहन का टेस्ट ड्राइव लेना चाहिए. कार को हाईवे के साथ ही साइड स्ट्रीट और अन्य इलाकों में चलाकर देखना चाहिए. खासकर जहां घुमावदार रास्ते हो. इसके अलावा कार की व्हील की जांच कर लेनी चाहिए.
पेपरवर्क
कार खरीदने का सबसे जरूरी हिस्सा होता है पेपरवर्क. डील फाइनल करने से पहले पेपरवर्क पूरा कर लेना चाहिए. इसमें रजिस्ट्रेशन बुक, टैक्सेशन बुक, इनवाइस और पीयूसी सर्टिफिकेट होना चाहिए. इसके अलावा ट्रांसफर ऑफ ओनरशिप, इंश्योरेंस अपने नाम करा लेना चाहिए.
आरसी और इंश्योरेंस
गाड़ी की ओनरशिप आपने नाम पर ट्रांसफर होने के बाद इलाके के न्यायिक क्षेत्र (ज्यूरिस्डिक्शन) से जरूरी फॉर्म लेकर भरना चाहिए, जिसकी प्रति 15 से 18 दिनों में आ जाएगी और आरसी पर आपका नाम 40 से 45 दिन में बदल जाएगा. आरसी पर नाम आने के बाद इंश्योरेंस प्रक्रिया पूरी कर लेनी चाहिए.
मोलभाव
पुरानी कार खरीदते वक्त मोलभाव करने में संकोच नहीं करना चाहिए. बिक्रेता की ओर से बताए गए प्राइस को अंतिम नही मानना चाहिए, क्योंकि सेलर को पहले से उम्मीद होती है कि शायद ग्राहक कार की कीमत को लेकर मोलभाव करेगा.
Source : News Nation Bureau