शुरुआत की दशकों में कारों का डिज़ाइन काफी सामान्य था, जहां लोग खुले आसमान के नीचे सवारी का आनंद नहीं ले सकते थे. इस स्थिति को बदलने के लिए और यात्रा को रोमांटिक और आनंदमय बनाने के लिए रूफ की आवश्यकता को महसूस किया गया. पहली बार सनरूफ का उपयोग कारों में सनराइज कंवर्टीबल्स के साथ किया गया था. 1920 के दशक में सनराइज कंवर्टीबल्स ने कार इंडस्ट्री में एक नया मोड़ शुरू किया और लोगों को खुले आसमान के नीचे यात्रा करने का अनुभव कराया. इन कारों की विशेषता यह थी कि इनमें छत घुटने तक होती थी, जिससे व्यक्ति चाहे तो छत को खोलकर खुले आसमान के तले सवारी का आनंद ले सकते थे.
एक अलग ही आनंद देता है सनरूफ का कॉन्सेप्ट
इसके बाद, रूफ के डिज़ाइन में कई उन्नतियां की गईं और विभिन्न तकनीकी संशोधनों ने रूफ को और भी शानदार बना दिया गया. आजकल की कारों में स्लाइडिंग रूफ, सनरूफ, और पैनोरामिक रूफ की विभिन्न वैरिएटी उपलब्ध है, जिससे व्यक्ति को आसमान के साथ संवाद करने का नया अनुभव होता है. रूफ का यह नया आयाम न केवल यात्रा को आनंदमय बनाता है, बल्कि इससे कारों को एक नए स्वरूप में भी ट्रांसफॉर्मड करता है.
सनरूफ और पैनोरामिक रूफ के साथ व्यक्तिगतीकरण का अनुभव करते हैं. इन नए डिज़ाइन फीचर्स के साथ, कारों की छतें अब न केवल सुरक्षा और रूफ स्ट्रक्चर के लिए होती हैं, बल्कि ये एक नए डिज़ाइन के साथ एक फ्रेश लुक भी दर्शाती है. ये फीचर्स आधुनिकता और शैली को बढ़ावा देने के साथ-साथ, लोगों को आसमान की ओर एक नए दृष्टिकोण से देखने का मौका देती हैं.
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किस कार में पहली बार लगा था सनरूफ
सनरूफ पहली बार 1973 में एडसेंस (Mercedes-Benz) एस-क्लास कार में आया था. इसमें एक धातु पैनल था जिसे बाहर की ओर स्लाइड किया जा सकता था, जो इसे खुले केबिन का आकर्षण देता था. इसका मुख्य उद्देश्य यात्री और ड्राइवर को अच्छा परिवेश प्रदान करना था. विशेषज्ञों का कहना है कि इनकी मांग ऐसे देशों में अधिक बढ़ी है, जहां सूरज की रोशनी बहुत कम या बिल्कुल नहीं आती है. ऐसी सड़कों पर सनरूफ के साथ कार की छत को थोड़ा सा खोलने पर अच्छा ड्राइविंग अनुभव प्राप्त होता है.
Source : News Nation Bureau