किसी बैंक में नया खाता खुलवाने या पुराने खाते का सत्यापन कराने के लिए खाताधारक को उसके धर्म के बारे में जानकारी देने की जरूरत नहीं है. सरकार ने शनिवार को यह स्पष्टीकरण दिया है. वित्त मंत्रालय में वित्त सचिव एवं वित्तीय सेवा विभाग के सचिव राजीव कुमार ने ट्विटर पर कहा, किसी भी भारतीय नागरिक को अपना बैंक खाता खुलवाने या पुराने खाते में अपने ग्राहक को जानो यानी केवाईसी अनुपालन मामले में अपने धर्म का खुलासा करने की कोई जरूरत नहीं है.
यह भी पढ़ेंःCAA Protest: देशभर में हिंसक प्रदर्शन, यूपी में मरने वालों की संख्या हुई 15; 705 लोग गिरफ्तार
उन्होंने आगे कहा कि जनता को ऐसी अफवाहों पर कतई विश्वास नहीं करना चाहिये. सरकार की ओर से यह स्पष्टीकरण ऐसे समय आया है जब कुछ मीडिया खबरों में कहा जा रहा था कि बैंक खाता खुलवाने या सत्यापन करते समय उपभोक्ता से उनके धर्म के बारे में जानकारी मांग सकते हैं. बता दें कि इससे पहले मीडिया रिपोट्स में आधिकारिक सूत्रों के हवाले से कहा गया था कि बहुत जल्द केवाईसी फॉर्म में धर्म के बारे में जानकारी देनी पड़ सकती है. इन रिपोर्ट्स में कहा गया था कि भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने फेमा एक्ट रेग्युलेशन (Fema Act, Regulation) किया है.
यह भी पढ़ेंःCAA-NRC Protest: RJD की कार्रवाई, भागलपुर के अध्यक्ष समेत राजद के 3 सदस्यों को निकाला
इसके बाद ऐसी जानकारी की जरूरत पड़ सकती है. इससे एनआरओ अकाउंट्स खोलने और मुस्लिम के अलावा अन्य धार्मिक अल्पसंख्यक लोगों को प्रॉपर्टी होल्डिंग में मदद मिल सकती है. कहा गया था कि RBI की ओर से संशोधन के बाद इस नियम में नास्तिक और मुस्लिम प्रवासी शामिल नहीं होंगे. साथ ही म्यांमार, श्रीलंका और तिब्बत से आने वाले प्रवासी भी शामिल नहीं होंगे.
Source : Bhasha