Fixed Deposit (FD): फिक्स्ड डिपॉजिट को बैंकों (Banks) और गैर-बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनियों (NBFC) द्वारा ऑफर किया जाने वाला सुरक्षित निवेश (Safe Investment) का एक प्रमुख साधन माना जाता है. निवेशकों को FD के जरिए सेविंग अकाउंट (Saving Account) के मुकाबले अधिक रिटर्न मिलता है. फिक्स्ड डिपॉजिट में निश्चित अवधि के लिए एकमुश्त रकम जमा करके ब्याज के तौर पर रिटर्न मिलता है. FD के तय नियमों के अनुसार परिपक्वता (Maturity) से पहले जमा किए गए रकम को नहीं निकाला जा सकता. हालांकि कुछ जुर्माना अदा करके जमा की गई राशि को पहले भी निकाला जा सकता है.
यह भी पढ़ें: Rupee Open Today 25 Feb: डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया मजबूत, 15 पैसे बढ़कर खुला भाव
निवेशकों के बीच फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) काफी लोकप्रिय
मौजूदा समय में निवेशकों के बीच FD परंपरागत निवेश के तौर पर काफी लोकप्रिय है. निवेशक पूंजी को फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) करके ब्याज के रूप में बेहतर रिटर्न (Good Return) हासिल कर सकते हैं. आयकर अधिनियम (Income Tax) 1961 के मुताबिक फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) से मिलने वाले ब्याज पर टैक्स देना पड़ता है. बता दें कि एफडी में पैसा निवेश करने के समय ही निवेशकों को पता चल जाता है कि उनका पैसा बढ़कर कितना होने जा रहा है.
यह भी पढ़ें: डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए RBI का नया नारा, 'Cash Is King But Digital Is Divine'
फिक्स्ड डिपॉजिट की क्या है खासियत
- 7 दिन से 10 साल की अवधि के लिए FD खोलने का विकल्प
- बैंक और डाक विभाग में भी खोली जा सकती है FD
- निवेशकों के पास कॉर्पोरेट फिक्स्ड डिपॉजिट का भी विकल्प
- टैक्स सेवर और रेकरिंग डिपॉजिट की सुविधा
यह भी पढ़ें: Gold Rate Today: इंट्राडे में ऊपरी स्तर से सोने-चांदी में करेक्शन के आसार, निचले भाव पर फिर आ सकती है खरीदारी
फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के नुकसान
- निवेशकों को फिक्स्ड डिपॉजिट में कम मिलता है रिटर्न
- FD पर मिलने वाली ब्याज दरों में लगातार कटौती
- महंगाई से लड़ने में फिक्स्ड डिपॉजिट फिलहाल कारगर नहीं