लक्ष्मी विलास बैंक (Lakshmi Vilas Bank) पर छाए मौजूदा संकट ने पीएमसी बैंक संकट की याद को ताजा कर दिया है. RBI को पिछले साल सितंबर में पंजाब एंड महाराष्ट्र को-ऑपरेटिव बैंक में चल रहे कथित घोटाले की जानकारी हुई थी. RBI ने उस समय सख्त कदम उठाते हुए पीएमसी बैंक से पैसे निकालने पर लिमिट लगा दी थी. मामले की शुरुआत में अकाउंट से 50 हजार रुपये कैश निकालने की लिमिट लगाई गई थी लेकिन बाद में उस सीमा को बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया था. मौजूदा स्थिति की बात करें तो वित्तीय संकट का सामना कर रहे निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर सरकार ने एक महीने तक के लिए पाबंदियां लगा दी हैं.
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खस्ता वित्तीय हालत को देखते हुए सरकार ने उठाया ये कदम
सरकार के इस फैसले के बाद लक्ष्मी विलास बैंक का कोई भी खाताधारक अब ज्यादा से ज्यादा 25,000 रुपये ही निकाल सकेगा. बैंक की खस्ता वित्तीय हालत को देखते हुए RBI की सलाह के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है. बैंकिंग नियमन अधिनियम 1949 की धारा 45 के तहत केंद्र सरकार ने लक्ष्मी विलास बैंक पर यह पाबंदी लगाई है. वहीं इस कदम के साथ ही सरकार ने डीबीएस इंडिया के साथ लक्ष्मी विलास बैंक के अधिग्रहण की योजना का ऐलान भी कर दिया है. रिजर्व बैंक ने लक्ष्मी विलास बैंक के निदेशक मंडल को भी हटा दिया है और केनरा बैंक के पूर्व गैर-कार्यकारी चेयरमैन टीएन मनोहरन को 30 दिनों के लिए उसका प्रशासक नियुक्त कर दिया है.
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इस साल यस बैंक के बाद वित्तीय संकट में फंसने वाला बैंक है लक्ष्मी विलास बैंक
यस बैंक के बाद इस साल मुश्किलों में फंसने वाला लक्ष्मी विलास बैंक प्राइवेट सेक्टर का दूसरा बैंक है. आपको बता दें कि यस बैंक के ऊपर मार्च में पाबंदियां लगायी गयी थीं. सरकार ने उस समय SBI की मदद से यस बैंक को उबारने की कोशिश की थी. SBI ने यस बैंक की 45 फीसदी हिस्सेदारी के बदले में 7,250 करोड़ रुपये का निवेश किया था. जानकारी के मुताबिक इस साल जून तिमाही में लक्ष्मी विलास बैंक के पास कुल जमा पूंजी 21,161 करोड़ रुपये थी. बता दें कि लक्ष्मी विलास बैंक ने इंडियाबुल्स के साथ विलय करने की कोशिश की थी. हालांकि RBI से इसके लिए बैंक को अनुमति नहीं मिल पाई थी. उसके बाद बैंक ने NBFC के साथ अनौपचारिक बातचीत की थी लेकिन वहां पर भी बात नहीं बन पाई थी.
RBI ने सितंबर में लक्ष्मी विलास बैंक के कामकाज को अपने हाथ में ले लिया था. RBI ने बैंक के संचालन के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया था. बैंक की सालाना आम बैठक में वोट के आधार पर बैंक के एमडी और सीईओ समेत सात निदेशकों को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया था. बता दें कि RBI ने सितंबर 2019 में लक्ष्मी विलास बैंक को प्रॉम्प्ट करेक्टिव एक्शन (PCA) फ्रेमवर्क में डाल दिया था. PCA फ्रेमवर्क में डाले जाने की वजह से बैंक ना तो नए कर्ज जारी कर सकता है और ना ही नई ब्रांच खोल सकता है. RBI ने यह कार्रवाई रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड (RFL) के आरोप पर कार्रवाई की थी. लक्ष्मी विलास बैंक के ऊपर आरोप था कि बैंक ने रेलिगेयर फिनवेस्ट लिमिटेड के 790 करोड़ रुपये की फिक्स्ड डिपॉजिट (Fixed Deposit) में भारी गड़बड़ी की थी.
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मार्च 2020 को समाप्त तिमाही में इतना हुआ लाभ
लक्ष्मी विलास बैंक को मार्च 2020 को समाप्त हुई तिमाही में 92.86 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ है. इससे पहले लगातार दस तिमाहियों में बैंक को घाटा हो रहा था. रिजर्व बैंक ने उसे सितंबर 2019 में त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) के तहत डाल दिया था। इस कार्रवाई के तहत बैंक को अतिरिक्त पूंजी लाने, कंपनियों को आगे और कर्ज नहीं देने और गैर-निष्पादित राशि (एनपीए) में कमी लाने तथा प्रावधान कवरेज अनुपात को बढ़ाकर 70 फीसदी करने को कहा है.
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1926 में हुआ था लक्ष्मी विलास बैंक का गठन
जानकारी के मुताबिक लक्ष्मी विलास बैंक का गठन 1926 में हुआ था. मौजूदा समय में देशभर में 16 राज्यों में बैंक की 566 शाखाएं और 918 एटीएम परिचालन में हैं.