सरकार ने वित्तीय संकट से गुजर रहे निजी क्षेत्र के लक्ष्मी विलास बैंक पर एक महीने तक के लिए पाबंदियां लगा दी हैं और बैंक का कोई खाताधारक ज्यादा से ज्यादा 25,000 रुपये तक की निकासी कर सकेगा. बैंक की खस्ता वित्तीय हालत को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक की सलाह के बाद सरकार ने यह कदम उठाया है.
भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि बैंक की ओर से विश्वसनीय पुनरोद्धार योजना नहीं पेश करने की स्थिति में जमाधारकों के हित में यह फैसला किया गया है. साथ ही बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र की स्थिरिता के हितों का भी ख्याल रखा गया है. केंद्रीय बैंक ने कहा कि इसके अलावा कोई विकल्प नहीं बचा था, इसलिए बैकिंग नियमन अधिनियम 1949 की धारा 45 के तहत केंद्र सरकार ने निजी क्षेत्र के बैंक पर पाबंदी लगायी है.
बयान में कहा गया है कि रिजर्व बैंक के परामर्श पर विचार करने के बाद केंद्र सरकार ने आज (मंगलवार) से बैंक पर 30 दिन के लिए पाबंदियां लगाई हैं. आदेश के मुताबिक लक्ष्मीविलास बैंक रिजर्व बैंक की अनुमति के बिना बचत, चालू या किसी तरह के जमा खाते से किसी जमाकर्ता को कुल मिलाकर 25,000 रुपये से अधिक का भुगतान नहीं करेगा.
केनरा बैंक के पूर्व गैर-कार्यकारी चेयरमैन टीएन मनोहरण को बैंक का प्रशासक नियुक्त किया गया है. इस बीच रिजर्व बैंक ने लक्ष्मीविलास बैंक के डीबीएस बैंक के साथ विलय की मसौदा योजना भी सार्वजनिक की है.
Source : News Nation Bureau