लोन मोरेटोरियम (Loan Moratorium) मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ गया है. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सरकार की लोन मोरेटोरियम पॉलिसी पर दखल देने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आर्थिक नीति क्या हो, राहत पैकेज क्या हो ये सरकार और RBI परामर्श के बाद तय करेगी. आर्थिक नीतिगत के मामलों पर सुप्रीम कोर्ट का दखल ठीक नहीं है. जज एक्सपर्ट नहीं है, उन्हें आर्थिक मसलों पर बहुत एहतियात के साथ ही दखल देना चाहिए. हम सेक्टर वाइज राहत नहीं दे सकते. जब तक किसी नीति में बदनीयती की बात साबित न हो, तो सिर्फ कुछ सेक्टर के नाखुश रहने के चलते कोर्ट को दखल देने से बचना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ किया कि बैंकों को ब्याज माफ़ी के लिए निर्देश नहीं दे सकता. कोर्ट ने लोन मोरेटोरियम की अवधि बढ़ाने से भी इनकार किया है.
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कोर्ट के फैसले में एक बड़ी बात निकलकर सामने आई है कि ब्याज पर ब्याज यानि चक्रवृद्धि ब्याज (Compound Interest) लोन मोरेटोरियम अवधि के लिए किसी को नहीं देना होगा. मतलब यह कि लोन मोरेटोरियम अवधि के दौरान EMI न देने वाले किसी को भी ब्याज पर ब्याज यानि चक्रवृद्धि ब्याज नहीं देना होगा. यहां यह ध्यान देने वाली बात है कि सुप्रीम कोर्ट ने पूरी तरह से ब्याज माफी के लिए ने नहीं कहा है. सिर्फ ब्याज पर ब्याज देने यानि चक्रवृद्धि ब्याज से छूट दी है.एक बात और गौर करने वाली है सरकार ने इससे पहले सिर्फ दो करोड़ तक के लोन पर ब्याज पर ब्याज से छूट दी थी, लेकिन अब SC का फैसला आने के बाद दो करोड़ से ज़्यादा या कितने का भी कर्ज़ हो, इसे वाले लोगों/उद्योगों को लोन मोरेटोरियम अवधि के लिए ब्याज पर ब्याज नहीं देना होगा. कोर्ट ने कहा है कि अगर किसी से लोन मोरोटोरियम अवधि के लिए ब्याज पर ब्याज लिया गया है तो उसको अगली किस्तों में एडजस्ट किया जाएगा.
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कोर्ट ने इन मांगों को खारिज किया
- पूरी तरह से ब्याज़ माफी से मना कर दिया है (सिर्फ ब्याज से ब्याज माफ किया गया है)
- लोन मोरोटोरियम की अवधि छह माह से ज़्यादा बढ़ाने की मांग भी खारिज कर दी गई
- कोर्ट ने सेक्टर वाइज राहत देने से इनकार कर दिया
कोर्ट ने फैसले में ये भी कहा कि आर्थिक, राजकोषीय नीति में कोर्ट को बहुत एहतियात से ही दखल देना चाहिए। राहत पैकेज क्या हो, आर्थिक नीति क्या हो, ये तय करना मूलतः सरकार का काम है. सरकार, RBI जैसे एक्सपर्ट जैसे से बात कर फैसला ले. बता दें कि इससे पहले सरकार ने सिर्फ दो करोड़ तक के लिए ब्याज पर ब्याज लेने से इनकार किया था, लेकिन कोर्ट ने साफ किया कि पूरी तरह से लोन मोरेटोरियम के लिए ब्याज को माफ नहीं किया जा सकता. कोर्ट ने कहा कि इससे बैकिंग सिस्टम पर बुरा असर पड़ेगा.
HIGHLIGHTS
- सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि आर्थिक नीति क्या हो, राहत पैकेज क्या हो ये सरकार और RBI परामर्श के बाद तय करेगी
- आर्थिक नीतिगत के मामलों पर कोर्ट का दखल ठीक नहीं है. जज एक्सपर्ट नहीं है, उन्हें आर्थिक मसलों पर एहतियात के साथ दखल देना चाहिए