वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर आरोप लगाया कि वो अपने पीछे पब्लिक बैंकिंग क्षेत्र में भ्रष्टाचार की गंदी बदबू छोड़ गए थे और इसका सबसे खराब चरण उनके और भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन के दौरान रहा. राजन के गर्वनर रहने के दौरान दोस्ताना नेताओं के फोन कॉल के आधार पर ही ऋण दिए गए और देश के सरकारी बैंक अभी तक उस समस्या से उबरने के लिए सरकारी मदद पर ही निर्भर हैं. सीतारमण ने ये बातें मंगलवार को कोलंबिया विश्वविद्यालय में एक लेक्चर के दौरान कहीं.
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सीतारमण ने कहा कि देश के पब्लिक सेक्टर बैंकों ने उससे पहले इतना बुरा दौर कभी नहीं देखा था जितना प्रधानमंत्री के रूप में मनमोहन सिंह और रिज़र्व बैंक के गवर्नर के रूप में रघुराम राजन की जोड़ी के दौरान देखा गया.
राजन की मोदी सरकार की आलोचना से जुड़े एक सवाल का उत्तर देते हुए सीतारमण ने कहा कि वो दौर कुछ ज्यादा ही लोकतांत्रिक नेतृत्व का था जिसमें शायद काफी उदारवादियों की सहमति रही होगी. उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार की ऐसी गंदगी छाई कि अभी तक उसकी सफाई जारी है.
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उन्होंने कहा कि अगर लोगों को लगता है कि मौजूदा समय बहुत ही केंद्रीयकृत नेतृत्व है, तो ये कहा जा सकता है बहुत लोकतांत्रिक नेतृत्व के तहत काफी भ्रष्टाचार भी फैलता है। उन्होंने कहा कि भारत जैसे विविधता वाले देश में आपको एक प्रभावशाली नेतृत्व चाहिए होगा.