राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने बैंकिंग रेग्युलेशन संशोधन अध्यादेश 2020 (Banking Regulation Amendment Ordinance) को मंजूरी दे दी है. इस अध्यादेश में कोऑपरेटिव बैंकों के बेहतर प्रबंधन और रेगुलेशन का जिक्र है. कोऑपरेटिव बैंकों (Cooperative Banks) में आम जनता का जमा धन की अब और बेहतर तरीके से रेग्युलेशन और प्रबंधन हो पाएगा. बता दें कि हाल में कैबिनेट ने इस अध्यादेश को मंजूरी दी थी.
President Promulgates Banking Regulation (Amendment) Ordinance for better mgmt. & sound regulation of co-op banks and facilitates making of reconstruction/amalgamation scheme in interest of public/depositors/banking/proper banking company mgmt.
— Ministry of Finance (@FinMinIndia) June 27, 2020
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बुधवार को कैबिनेट की बैठक में अध्यादेश को किया गया था पारित
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक हुई थी. इस बैठक में कई महत्वपूर्ण फैसले किए गए थे. केंद्रीय सूचना प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बुधवार को इस बारे में जानकारी दी. जावड़ेकर ने बताया कि केंद्रीय कैबिनेट ने एक अध्यादेश पारित किया है. अध्यादेश परा राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद सभी तरह के सहकारी बैंक RBI की निगरानी के दायरे में आ गए हैं. उन्होंने कहा कि मुद्रा लोन 18 से 20 करोड़ लोगों को मिला है. एक तरह से ये दुनिया का सबसे बड़ा स्मॉल लोन प्रोग्राम है. जिसमें 50 हजार रूपये के लोन को शिशु लोन कहा जाता है. 9 करोड़ 37 लाख लोगों ने यह शिशु लोन लिया है. इस तरह का लोन लेने वालों को ब्याज में दो फीसदी की छूट मिलेगी. यह एक जून 2020 से लागू होगा.
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प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि सहकारी बैंकों के आरबीआई के अंतर्गत आने से सहकारी बैंकों पर ग्राहकों का विश्वास बढ़ेगा. RBI की शक्तियां जैसे अनुसूचित बैंक पर लागू होती हैं, वैसे ही सहकारी बैंकों पर भी लागू होंगी. उन्होंने बताया कि देश में 1482 शहरी सहकारी बैंक और 58 बहु-राज्यीय सहकारी बैंक हैं. जावड़ेकर ने बताया कि मुद्रा लोन करीब 18 से 20 करोड़ लोगों को मिला है. 9 करोड़ 33 लाख लोगों ने शिशु लोन लिया है. केंद्रीय मंत्रिमंडल ने शिशु लोन के योग्य लाभार्थियों को 12 महीनों के लिए ब्याज में 2 फीसद की छूट प्रदान करना का फैसला लिया है.