भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को ऋण में दबे दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड डीएचएफएल (DHFL) को भंग कर दिया है और एक एडमिनिस्ट्रटर यानी प्रशासक भी नियुक्त कर दिया है. केंद्रीय बैंक ने अपने एक बयान में कहा कि वह जल्द ही डीएचएफएल के लिए दिवालियापन की प्रक्रिया शुरू करने की सिफारिश करेगा.
आरबीआई (RBI) ने कई पेमेंट डिफॉल्ट के बाद यह कार्रवाई की है. निदेशक बोर्ड को भंग करने के बाद इसका प्रबंधक आईओबी (IOB) के पूर्व एमडी और सीईओ को बनाया गया है. आरबीआई ने कहा कि डीएचएफएल को आईबीसी के तहत NCLT में भेजा जाएगा. आरबीआई के इस फैसले के बाद कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने ट्वीट किया कि यह काफी अच्छा हुआ है कि डीएचएफएल के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स को हटा दिया गया है और प्रशासक नियुक्त किया गया है. यह सही समय है कि दीवान ब्रदर्स को जेल में डाला जाए. उन्होंने तमाम बैंकों, म्युचुअल फंड्स और पीएसयू को बेशर्मी से लूटा है.
केंद्रीय बैंक ने अपनी अधिसूचना में कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक कानून 1934 की धारा 45-आईई (1) का उपयोग करते हुए दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन लिमिटेड के निदेशक बोर्ड को भंग किया जाता है और एक प्रशासक भी नियुक्ति किया जाता है. RBI ने अपने बयान में कहा कि डीएचएफएल द्वारा कई प्रशासनिक गड़बड़ी करने और कई भुगतान देनदारियों में चूक करने से निदेशक मंडल को भंग करने का यह निर्णय लिया गया है.
केंद्रीय बैंक ने बताया कि इंडियन ओवरसीज बैंक के पूर्व एमडी और सीईओ आर सुब्रामनिया कुमार को कानून की धारा 45-आईई(2) के तहत डीएचएफएल का प्रशासक नियुक्त किया गया है. बता दें कि पिछले बजट में सरकार ने आरबीआई को शक्तियां दे दी थीं कि वह प्रशासक नियुक्त कर सकता है. डीएचएफएल के पास सिर्फ बैंकों की ही 38 हजार करोड़ की उधारी है और 85 हजार करोड़ की कुल लायबिलिटी है.
Source : न्यूज स्टेट ब्यूरो