भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बैंख धोखाधड़ी के मामले में सालाना रिपोर्ट जारी की है. इसके तहत पिछले साल देश में बैंक धोखाधड़ी के मामलों में सालाना आधार पर 15 फीसदी की वृद्धि हुई है, जबकि धोखाधड़ी की राशि 73.8 प्रतिशत बढ़कर 71,542.93 करोड़ तक पहुंच गई. आरबीआई ने गुरुवार को वित्त वर्ष 2018-19 के लिए अपनी वार्षिक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट के अनुसार, देश में चलन में मौजूद मुद्रा 17 फीसदी बढ़कर 21.10 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गई है. इसके साथ ही आरबीआई की रिपोर्ट में यह भी है कि वित्त वर्ष 2018-19 में बैंकों में 71,542.93 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी के 6,801 मामले सामने आए हैं.
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आरबीआई की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि घरेलू मांग घटने से आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ी हैं और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने को निजी निवेश बढ़ाने की जरूरत है. भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया है कि आईएलऐंडएफएस संकट के बाद एनबीएफसी से वाणिज्यिक क्षेत्र को ऋण प्रवाह में 20 फीसदी की गिरावट आई है. यह रिपोर्ट हर साल जारी की जाती है, जिसमें केंद्रीय बैंक के कामकाज तथा संचालन के विश्लेषण के साथ ही अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन में सुधार के लिए सुझाव दिए जाते हैं.
केंद्रीय बैंक ने कहा, केंद्र सरकार को अधिशेष कोष से 52,637 करोड़ देने के बाद रिजर्व बैंक के आकस्मिक कोष में 1,96,344 करोड़ रुपये की राशि बची है. रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि ऋण माफी, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन, आय समर्थन योजनाओं से राज्यों की वित्तीय प्रोत्साहनों को लेकर क्षमता घटी है.
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बता दें कि आरबीआई ने पिछले दिनों अपने डिविडेंड और सरप्लस फंड से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपये ट्रांसफर करने की घोषणा की है. इस फंड का इस्तेमाल सरकार इकॉनमी में जान फूंकने में कर सकती है. आरबीआई इस रकम का बड़ा हिस्सा यानी 1.23 लाख करोड़ रुपये सरप्लस फंड से और बाकी 52,637 करोड़ रुपये सरप्लस रिजर्व से ट्रांसफर करेगा.