भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक केंद्रीय भुगतान धोखाधड़ी सूचना रजिस्ट्री (Central Payment Fraud Information Registry) बनाने की घोषणा की है. इससे वित्तीय धोखाधड़ी मामलों में त्वरित और प्रक्रियागत कार्रवाई करना आसान होगा. मौजूदा समय में बैंकों के लिए एक व्यवस्था है, जिसमें वह सभी बैंकिंग धोखाधड़ियों की रिपोर्ट रिजर्व बैंक के केंद्रीय धोखाधड़ी निगरानी प्रकोष्ठ (Central Fraud Monitoring Cell) को देते हैं. आगे इस काम को इसी काम के लिए प्रस्तावित रजिस्ट्री संभालेगी.
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डिजिटल बैंकिंग आने के बाद धोखाधड़ी में बढ़ोतरी
केंद्रीय बैंक ने कहा कि भुगतान बुनियादी ढांचे के साथ-साथ डिजिटल भुगतान लेन-देन मात्रा और मूल्य के संदर्भ में भी बढ़ा है. इससे डिजिटल भुगतान प्रणाली में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. ऐसे में सभी हितधारकों द्वारा धोखाधड़ी जोखिम निगरानी और प्रबंधन का भी महत्व बढ़ा है. रिजर्व बैंक ने कहा कि उसका हमेशा से लक्ष्य रहा है कि भुगतान प्रणाली में ग्राहक का विश्वास बेहतर हो. इन्हीं प्रयासों को आगे बढ़ाने और त्वरित एवं प्रक्रियागत प्रतिक्रिया सुनिश्चित करने के लिए यह नयी सुविधा बनाने का प्रस्ताव है. भुगतान व्यवस्था के सभी प्रतिभागियों की इस रजिस्ट्री तक पहुंच होगी ताकि वस्तुत: समय में धोखाधड़ी की निगरानी की जा सके.
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अक्टूबर 2019 तक RBI जारी कर सकता है नियम
ये नई रजिस्ट्री धोखाधड़ी की पहचान करेगी. पेमेंट सिस्टम के भागीदारों की पहुंच इस रजिस्ट्री तक होगी. भागीदार धोखाधड़ी की निगरानी भी कर सकेंगे. धोखाधड़ी का डेटा ग्राहकों को भी बताया जाएगा. रिजर्व बैंक (RBI) अक्टूबर 2019 तक इससे संबंधित नियम जारी कर सकता है. रिजर्व बैंक की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक पिछले 11 साल में भारत में 2.05 लाख करोड़ रुपये के बैंकिंग धोखाधड़ी हुई है. वित्त वर्ष 2009 से 2019 तक फ्रॉड के 50 हजार मामले सामने आए हैं.
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मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक धोखाधड़ी के ये मामले तकरीबन हर महीने देखने को मिले हैं. ICICI बैंक में 5033 करोड़ रुपये के 6,811 फ्रॉड के मामले सामने आए हैं. ये सभी बैंक में सबसे ज्यादा है. SBI में पिछले 10 साल में 6793 धोखाधड़ी के मामले सामने आए हैं, जबकि HDFC बैंक में 1,200 करोड़ रुपये के 2497 बैंकिंग धोखाधड़ी के केस सामने आए हैं. (इनपुट PTI)