भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) जल्द ही बैठक कर महंगाई पर काबू पाने के लिए रेपो दर पर फैसला कर सकती है. एमपीसी ने 3 नवंबर को बैठक की थी, इस बात पर चर्चा करने के लिए कि वह केंद्र सरकार को उन कारणों पर क्या बताएगी कि वह महंगाई पर लगाम क्यों नहीं लगा पा रही है. भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम की धारा 45 जेडएन के अनुसार, जब आरबीआई मुद्रास्फीति लक्ष्य को पूरा करने में विफल रहता है, तो यह केंद्र सरकार का लिस्टिंग के लिए एक रिपोर्ट भेजता है- (ए) मुद्रास्फीति लक्ष्य को प्राप्त करने में विफलता के कारण, (बी) इसके द्वारा की जाने वाली प्रस्तावित उपचारात्मक कार्रवाई और (सी) प्रस्तावित उपचारात्मक कार्रवाइयों के समय पर कार्यान्वयन के अनुसरण में समय-अवधि का अनुमान जिसके भीतर मुद्रास्फीति लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा.
उक्त एमपीसी बैठक की कार्यवाही को सार्वजनिक नहीं किया गया है, जबकि कानून इसके विपरीत प्रावधान करता है. धारा 45 जेडके के अनुसार, आरबीआई, एमपीसी की प्रत्येक बैठक के समापन के बाद, उक्त समिति द्वारा अपनाए गए संकल्प को प्रकाशित करेगा. आरबीआई अधिनियम की धारा 45जेडएल के अनुसार, एमपीसी बैठक के कार्यवृत्त को प्रत्येक बैठक के 14वें दिन प्रकाशित किया जाता है, जिसमें शामिल हैं:
(ए) एमपीसी की बैठक में अपनाया गया संकल्प
(बी) उक्त बैठक में अपनाए गए प्रस्तावों पर एमपीसी के प्रत्येक सदस्य का वोट
(सी) उक्त बैठक में अपनाए गए प्रस्तावों पर धारा 45 जेडएल की उप-धारा (11) के तहत एमपीसी के प्रत्येक सदस्य का बयान.
जैसा कि दीपक अग्रवाल, सीआईओ (ऋण) कोटक महिंद्रा एसेट मैनेजमेंट कंपनी ने कहा कि वित्त वर्ष 24 के लिए भारत में औसत सीपीआई 5.00-5.25 प्रतिशत के बैंड में रहने की उम्मीद है. 100 बीपीएस वास्तविक दरों को मानते हुए, भारत में टर्मिनल रेपो दर लगभग 6.25 प्रतिशत हो सकती है.
अग्रवाल ने कहा, हम 22 दिसंबर की नीति में 35 बीपीएस बढ़ोतरी की उम्मीद करते हैं, साथ ही मौद्रिक नीति के रुख में समायोजन की वापसी से तटस्थ में बदलाव आगे की कार्रवाई को डेटा निर्भर होने का संकेत देते हैं.
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Source : IANS