Yes Bank Crisis: यस बैंक (Yes Bank) संकट से निजी क्षेत्र के बैंकों पर जमाकर्ताओं का भरोसा घटा है और इसके चलते छोटे बैंकों (Small Banks) को सरकारी बैंकों के हाथों जमा राशि खोनी पड़ सकती है. वैश्विक रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service) की शोध रिपोर्ट में यह बात कही गई है. यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब निजी क्षेत्र के कई ऋणदाताओं ने मार्च तिमाही में जमा राशि घटने की सूचना दी है. इस तिमाही के दौरान ही यस बैंक का संकट पैदा हुआ था.
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सभी बैंक सुरक्षित हैं: रिजर्व बैंक
रिजर्व बैंक (RBI) ने इन चिंताओं को शांत करते हुए बार-बार कहा है कि सभी बैंक सुरक्षित हैं. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि यस बैंक की घटना से निजी क्षेत्र के बैंकों पर जमाकर्ताओं का भरोसा कम हुआ है, जबकि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों पर भरोसा मजबूत बना रहेगा, क्योंकि ऐसी धारणा है कि उन्हें सरकार का मजबूत संरक्षण हासिल है. रेटिंग एजेंसी ने कहा कि फलस्वरूप, कुछ निजी क्षेत्र के बैंकों, खासतौर से छोटे संस्थानों को सरकारी बैंकों के हाथों जमा राशि खोनी पड़ सकती है, जिसके उनकी वित्त पोषण क्षमता और कमजोर होगी. मूडीज ने कहा कि यस बैंक प्रकरण में बचाव के बावजूद इससे संकटग्रस्त निजी क्षेत्र के बैंकों को बचाने की प्रक्रिया में कमजोरियों का पता चलता है.
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अगले 1-2 महीने तक रहेगा ईवी क्षेत्र पर विपरीत असर: एसएमईवी
इलेक्ट्रिक वाहन विनिर्माता सोसाइटी (एसएमईवी) ने मंगलवार को कहा कि लॉकडाउन बढ़ाने का फैसला सही कदम है, हालांकि अगले 1-2 महीनों के लिए उसके सदस्यों के कामकाज पर निश्चित रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। एसएमईवी के महानिदेशक सोहिंदर गिल ने इस समय को ईवी क्षेत्र के लिए परीक्षा की घड़ी बताते हुए कहा कि उसके सदस्यों के लिए ये समय नकदी बचाने, श्रमिकों की देखभाल करने और आगे विस्तार की योजना बनना का है. गिल ने एक बयान में कहा कि देश की मौजूदा स्थिति को देखते हुए लॉकडाउन का विस्तार सही कदम है। हालांकि, अगले 1-2 महीनों के लिए संचालन पर निश्चित रूप से प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. मेरा मानना है कि हम हजारों लोगों के जीवन को बचाने में सक्षम होंगे। और एक स्वस्थ राष्ट्र के रूप में उभरेंगे.