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यस बैंक को सरकारी नियंत्रण में लेना चाहिए, जनता का पैसा लूट के लिए नहीं : AIBEA

यस बैंक- एआईबीईए

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Ravindra Singh
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Yes Bank Fraud

यस बैंक( Photo Credit : फाइल)

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यस बैंक संकट (Yes Bank Crisis) के बीच अखिल भारतीय बैंक कर्मचारी संघ (AIBEA) ने शनिवार को कहा कि रिजर्व बैंक को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और सरकार को सभी निजी बैंकों का नियंत्रण अपने हाथ में ले लेना चाहिए. बैंक यूनियनों के संगठन एआईबीईए ने कहा कि बैंकों पर जनता की मेहनत की कमाई और बचत के प्रबंधन की जिम्मेदारी होती है. ‘यदि कोई बैंक इसे ठीक से नहीं संभालता या कुप्रबंधन करता है तो उसके उन शीर्ष अधिकारियों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की जानी चाहिए जो इसके जिम्मेदार हैं. उन्हें कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए.’ एआईबीईए (AIBEA) ने एक बयान में कहा कि उन्हें ऐसा ही खुला नहीं छोड़ देना चाहिए.

संगठन के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने कहा, ‘इसी के साथ बैंक के ग्राहकों और जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा के लिए यस बैंक को तत्काल सरकार के नियंत्रण में लाया जाना चाहिए. एक-एक करके निजी बैंक विफल हो रहे हैं जिनका सरकार ने बहुत गुणगान किया था. यह वह समय है जब सरकार को फिर से 1969 के घटनाक्रम को दोहराने की जरूरतहै. सरकार को सभी निजी बैंकों को सार्वजनिक नियंत्रण में लाना चाहिए.’ एआईबीईए ने कहा कि लोगों का पैसा लोगों के कल्याण में इस्तेमाल होना चाहिए ना कि निजी लूट के लिए.

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रिजर्व बैंक ने यस बैंक पर लगाई है रोक
उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक ने यस बैंक पर तीन अप्रैल तक रोक लगाने के साथ उसके निदेशक मंडल को भी तत्काल प्रभाव से भंग कर दिया है. साथ ही प्रत्येक खाताधारक को महीने में 50,000 रुपये तक निकासी करने की ही अनुमति दी है. एआईबीईए ने कहा कि पिछले महीने संसद में पेश की गयी आर्थिक समीक्षा में मुख्य आर्थिक सलाहकार कृष्णमूर्ति सुब्रमण्यम ने कहा था कि सरकारी बैंक में यदि एक रुपया निवेश किया जाता है जो उसका परिणाम 23 पैसे के नुकसान के रूप में सामने आता है. जबकि निजी बैंक में यह निवेश करने से 9.6 पैसे की वृद्धि होती है.

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यस बैंक में थी कई परेशानियां
संगठन ने कहा, ‘इसका आशय यह है कि सरकार खुद इस बात पर जोर दे रही है कि निजी क्षेत्र के बैंक सरकारी बैंकों की अपेक्षा ज्यादा क्षमतावान हैं. सरकारी बैंक बेकार हैं और नुकसान कर रहे हैं.’ एआईबीईए ने कहा कि अब यस बैंक की क्षमता कहां गयी? अब खबरें हैं कि जनहित में रिजर्व बैंक ने यस बैंक के कामकाज पर रोक लगा दी है. संगठन ने कहा, ‘असल में यस बैंक कई परेशानियों से ग्रस्त था. इसमें सूचना को सार्वजनिक ना करना, पूंजी का अपर्याप्त होना और फंसे कर्ज का बढ़ते जाना शामिल है. लेकिन रिजर्व बैंक ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की और समय देता रहा.

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ऑडिट रिपोर्ट में बार-बार आ रहीं थी खामियां
अब जब बहुत नुकसान हो चुका है तो उसने बैंक के कामकाज पर रोक लगा दी है और इसे लेकर खाताधारकों के बीच चिंता का माहौल है.’ संगठन ने कहा कि बार बार आडिट रिपोर्ट में यस बैंक की खामियां उजागर किये जाने के बावजूद रिजर्व बेंक ने कोई कदम नहीं उठाया और अंत में यह स्थिति सामने आई. ‘सरकार को रिजर्व बैंक को जवाबदेह ठहराना चाहिये.’

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