Budget 2020: म्यूचुअल फंड (Mutual Fund) कंपनियों संगठन एएमएफआई (AMFI) ने बॉन्ड (Bond) में निवेश को प्रोत्साहन देने के लिए बजट में कम खर्चीली बांड बचत-योजनाओं पर कर छूट की घोषणा करने का सुझाव दिया है. संगठन का कहना है कि इससे बॉन्ड बाजार का दायरा बढ़ेगा. साथ ही एसोसिएशन ऑफ म्यूचुअल फंड्स इन इंडिया (एएमएफआई) ने दीर्घकालीन पूंजी लाभ के उद्देश्य से सोना (Gold) और जिंस ईटीएफ (ETF) में बने रहने की अवधि मौजूदा तीन साल से कम कर एक साल करने का अनुरोध किया है.
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यूलिप और इक्विटी म्यूचुअल फंड को समान स्तर पर लाने की मांग
वित्त मंत्रालय को बजट के लिये दिये प्रस्तावों में उद्योग संगठन ने मांग की है कि सरकार विशेषीकृत दीर्घकालीन संपत्ति के रूप में म्यूचुअल फंड को मान्यता के साथ दीर्घकालीन पूंजी लाभ के लिये योग्य करार दें. साथ जीवन बीमा कंपनियों की यूलिप (ULIP) और इक्विटी म्यूचुअल फंड (Equity Mutual Fund) को समान स्तर पर लाया जाए. एएमएफआई ने म्यूचुअल फंड में निवेश करने वाले कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO), एनपीएस (NPS) और बीमा कंपनियों (Life Insurance Companies) को लाभांश वितरण कर से छूट देने का भी आग्रह किया.
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साथ ही श्रेणी तीन के अंतर्गत आने वाले वैकल्पिक निवेश कोष (एआईएफ) जो सूचीबद्ध शेयरों में 65 प्रतिशत निवेश करते हैं, उन्हें ‘पास थ्रो’ का दर्जा दिया जाना चाहिए. पास थ्रो दर्जा से आशय यह है कि निवेशकों के पास निवेश से जो आय सृजित हो उसी पर कर लगे न कि फंड को उस पर कर देना पड़े. संगठन के मुख्य कार्यकारी एन एस वेंकटेश ने कहा कि एएमएफआई का सुझाव पिछले कुछ साल से बजट प्रस्ताव में है। हम उम्मीद कर रहे हैं कि इस बार हमारी लंबित मांगों का समाधान होगा.
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इससे देश में म्यूचुअल फंड (MFs) को न केवल अगले स्तर तक ले जाने में मदद मिलेगी बल्कि अर्थव्यवस्था भी मजबूत होगी. खासकर बांड बाजार का दायरा बढ़ने से अर्थव्यवस्था (Economy) को लाभ होगा. बुनियादी ढांचा के लिये दीर्घकालीन कोष की उपलब्धता होगी और शुद्ध रूप से सोने में निवेश के बजाए स्वर्ण ईटीएफ (Gold ETF) में निवेश होने से राजकोषीय घाटा भी कम होगा. उन्होंने कहा कि कुछ प्रस्तावों का मकसद म्यूचुअल फंड को निवेश के दूसरे विकल्पों के समरूप बनाना और खुदरा निवेशकों के लिये इस क्षेत्र को और अनुकूल बनाना है. (इनपुट भाषा)