2020 -21 के लिए केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय का कुल बजट 67111.80 करोड़ रूपये का है . Department of Health and Family Welfare के लिए 65011.80 करोड़ जबकि Department of Health Research के लिए 2100.00 करोड़ रूपये दिए गए हैं. 2100 करोड़ रूपये में से 1795.71 करोड़ यानी हेल्थ रिसर्च के कुल बजट का 85% Indian Council of Medical Research यानी ICMR को दिए गए हैं. ICMR वही संस्था है जो कई गंभीर बिमारियों की चुनौतियों और उनके खतरे से निबटने के लिए रिसर्च करती है. जिनमें कम्युनिकेबल और नन कम्युनिकेबल डिज़ीज़, जनसंख्या नियंत्रण, बच्चों की हेल्थ,कैंसर, हर्ट अटैक, डायबिटीज़ और मेंटल हेल्थ जैसी बीमारियां शामिल हैं.
वहीं आपको बता दें कि भारत में हर साल डेंगू, चिकनगुनिया, दिमाग़ी बुख़ार, मलेरिया और कई तरह के फ्लू से हज़ारों लोगों की मौत हो जाती है, 2014 से 2019 तक सिर्फ दिमागी बुखार से ही 8143 बच्चों की मौत हो गयी थी. वहीं अब कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है. चीन से निकले इस वायरस ने भारत को भी डरा दिया है, लेकिन हम इस वायरस से बचने के लिए सावधानी ही बरत सकते हैं. सिर्फ कोरोना वायरस ही नहीं बल्कि इस जैसे निपाह वायरस, स्वाइन फ्लू, बर्ड फ्लू, इबोला वायरस ज़ीका वायरस से बचाव और उपचार की भी हमें ज़रूरत है.
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भारत में डायबिटीज़ तेज़ी से फैलती बीमारी है. ICMR की रिपोर्ट कहती है की 2011 में देश में डायबिटीज़ के मरीज़ों की संख्या 6 करोड़ से ज़्यादा थी, ये बीमारी अब 7 करोड़ का आंकड़ा पार कर चुकी है, 2018 में भारत में कैंसर की वजह से 7,84,821 लोगों की मौत हो चुकी है, ज़ाहिर है ऐसे में ICMR जैसी संस्थानों को हमें और मज़बूत करना होगा, लेकिन क्या कई गंभीर बीमारियों की चुनौतियों का सामना कर रहे 130 करोड़ से ज़्यादा की आबादी वाले देश में हेल्थ रिसर्च के लिए मौजूदा बजट काफ़ी है.
एम्स में जेरियेटरीक विभाग में अस्सिटेंट प्रोफेसर डॉक्टर विजय गुर्जर कहते हैं की भारत में हेल्थ सेक्टर में रिसर्च को बढ़ावा देने की ज़रूरत है. उनका कहना है की हमें भारत की ज़रूरतों को देखते हुए रिसर्च की ज़रूरत है, जो भविष्य में काम आ सकें, क्योंकि इन्हीं रिसर्च से बीमारियों से लड़ने के लिए कई तरह के वैक्सीन तैयार किये जाते हैं, हालांकि Department of Health Research के लिए पिछले बजट में दिए गए 1900 करोड़ रूपये के मुक़ाबले 2100 करोड़ रूपये देने को सरकार के सकारात्मक क़दम के तौर पर देखा जा सकता है, लेकिन गंभीर चुनौतियों को देखते हो हमें और बेहतर करना होगा.