कोविड के बाद पेश हुआ भारत का आम बजट पारदर्शी और दूरदर्शी है: अनुराग ठाकुर

Budget 2021: अनुराग ठाकुर ने महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर आए असर को लेकर कहा कि भारत इस महामारी के चलते मजबूत होकर उभरा है, जिन देशों ने लॉकडाउन नहीं किया, उनकी स्थिति हम देख रहे हैं. उन देशों में बड़े पैमाने पर लोगों ने अपनी जान गंवाई है.

author-image
Dhirendra Kumar
New Update
Anurag Thakur

वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) ( Photo Credit : IANS)

Advertisment

Budget 2021: कोविड-19 महामारी के प्रकोप के बाद पेश हुआ भारत का पहला बजट विवेकपूर्ण, पारदर्शी और भविष्य आधारित है. साफ तौर पर इस बजट का मकसद देश को आत्मनिर्भर बनाना है. ये कहना है वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर (Anurag Thakur) का. एक विशेष साक्षात्कार में अनुराग ठाकुर ने महामारी के कारण अर्थव्यवस्था पर आए असर को लेकर कहा कि भारत इस महामारी के चलते मजबूत होकर उभरा है, जिन देशों ने लॉकडाउन नहीं किया, उनकी स्थिति हम देख रहे हैं. उन देशों में बड़े पैमाने पर लोगों ने अपनी जान गंवाई है, जबकि भारत सबसे कम मृत्यु दर वाला देश रहा. हमने जिंदगियां बचाने के लिए सिस्टेमेटिक लॉकडाउन किया. हमारे यहां पीपीई किट नाममात्र की बनती थीं और अब हम इसके बड़े निर्यातक हैं. हम टीके भी निर्यात कर रहे हैं. उन्होंने कहा, "मैन्यूफेक्चरिंग कैपेसिटी बढ़ाने के लिए हमने अतिरिक्त फंडिंग के जरिए एमएसएमई क्षेत्र और अर्थव्यवस्था को सपोर्ट किया. लोन चुकाने के लिए मोरिटोरियम पीरियड दिया. इसके अलावा आंशिक क्रेडिट गारंटी योजना, अतिरिक्त वर्किंग केपेटिल पाने के लिए लोन दिये. इन सभी कदमों से ही हम व्यवसाय और नौकरियों बचा पाए.

यह भी पढ़ें: एयरपोर्ट के निजीकरण को लेकर मोदी सरकार का ये है प्लान, जानिए क्या

वित्त वर्ष 2022 में 11 प्रतिशत से अधिक होगी भारत की जीडीपी ग्रोथ: अनुराग ठाकुर 
महामारी के कारण लगे आर्थिक झटके में सबसे बुरी चीज क्या रही? इस पर ठाकुर ने कहा कि अगर अनुमानों को देखें तो अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के मुताबिक वित्त वर्ष 2022 में भारत की जीडीपी ग्रोथ 11 प्रतिशत से अधिक होगी, जबकि आरबीआई का अनुमान इसे 10.5 प्रतिशत के आसपास बताता है. दुनिया में भारत एकमात्र ऐसी बड़ी अर्थव्यवस्था है, जहां जीडीपी ग्रोथ को लेकर लगाया गया अनुमान दोहरे अंकों में हैं. यह सब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए गए संरचनात्मक सुधारों के कारण संभव हुआ है. ये सुधार 1990 के दशक में किए गए सुधारों से भी बड़े सुधार थे. उनकी दूरदर्शी और विवेकपूर्ण सोच ने संकट को अवसर में बदल दिया और इतनी रिकवरी की गति बढ़ाई.

यह भी पढ़ें: RBI ने पीएमसी बैंक (PMC Bank) को लेकर दी ये बड़ी जानकारी, पढ़ें पूरी खबर

महामारी के कारण पैदा हुए संकट से निपटने के लिए क्या हम फिस्कल कंसोलिडेशन से दूर जा रहे हैं? इस सवाल पर उन्होंने कहा, "कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के दौरान हमें 5 कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में गिना जाता था, जबकि 2014 के बाद नरेंद्र मोदी सरकार ने हर साल 7.5 प्रतिशत से अधिक की विकास दर दी. अब हम दुनिया की 6 सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हैं। 2021 का वित्तीय वर्ष कोविड-19 का साल था. हमारे लिए उधार लेना जरूरी था. भारत सरकार ने लोगों को खाद्यान्न, पैसा और सब्सिडी देने के लिए 12.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक उधार लिए हैं। इससे 8 महीनों में 80 करोड़ से अधिक लोगों को खाद्यान्न, दालें दी गईं. 30 करोड़ महिलाओं को सरकार ने उनके जन धन खातों में 31,000 रुपये दिए गए हैं. 3 करोड़ दिव्यांगों, विधवाओं और वृद्धों को 3,000 करोड़ रुपये और किसानों को 1.10 लाख करोड़ रुपये दिए गए। जाहिर है, आप यदि महामारी से लड़ने के लिए राज्यों की मदद करना चाहते हैं तो आपको उधार लेना पड़ेगा क्योंकि शुरू के 3 महीनों में तो अर्थव्यवस्था एक तरह से बंद थी.

5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने को लेकर अनुराग ठाकुर ने कहा कि अर्थव्यवस्था को निवेश की जरूरत है, तभी विकास दर में तेजी आएगी और रोजगार के अवसर पैदा होंगे। 5 सालों में हम दुनिया की छठी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गए. आर्थिक वृद्धि बढ़ाने का हमारा प्रयास अब भी जारी है, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण हमने एक साल खो दिया. तीव्र मंदी से उबरने में किसी भी अर्थव्यवस्था को समय तो लगा ही है. हमने अच्छा बजट पेश किया है, जिसका असर बाजार के सेंटीमेंट्स में भी स्पष्ट रूप से दिखता है. सार्वजनिक क्षेत्र के 2 बैंकों और 1 जनरल इंश्योरेंस एन्टिटी के निजीकरण की भी घोषणा की गई है। इन घोषणाओं से पहले ही बैंक यूनियन तीखी प्रतिक्रियाएं दे चुके हैं. 

यह भी पढ़ें: अनुराग ठाकुर का बड़ा बयान, भारत को और अधिक लाभदायक, मजबूत बैंकों की जरूरत

इस मामले में उन्होंने कहा, "यूपीए सरकार ने जिस तरह से बैंकों को फंड दिए और फिर लोन बांटे, उसने बैंकों को मुश्किल में डाल दिया था. हमने बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता की समीक्षा की, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के लिए 5.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक का रीकैपिटलाइजेशन किया. उपभोक्ताओं या बैंक के लोगों के लिए अधिक सुविधाओं की जरूरत है. इसीलिए हमने बैंकों का विलय किया, उन्हे मजबूत किया, लेकिन सरकार हर साल बैंकों में निवेश नहीं कर सकती है। उन्हें अपने पैरों पर खड़ा होना होगा, या उन्हें कमाना होगा और उन्हें प्रॉफिटेबल बनना होगा. यदि वर्तमान प्रबंधन ऐसा करने में असमर्थ है तो नया प्रबंधन ऐसा कर सकता है. अतीत के अनुभवों को देखें तो कई कंपनियों का मुनाफा कई गुना बढ़ा है उनके कर्मचारी भी बहुत खुश हैं. साथ ही सरकार स्वस्थ विनिवेश के लिए सभी जरूरी कदम भी उठाएगी. इस दौरान कमजोर बैंकों पर भी ध्यान दिया जाएगा, इस सवाल पर उन्होंने कहा कि हमें खरीदारों के नजरिए से भी सोचना होगा। हमें खरीदारों को कुछ ऐसे ऑफर देने होंगे, जो निवेश को आकर्षित करते हैं.

यह भी पढ़ें: 'पूंजी की समस्या को दूर करने के लिए कॉर्पोरेट घरानों को बैंक स्थापित करने की मिले अनुमति'

इस बजट में भविष्य निधि (पीएफ) और यूलिप्स में अलग-अलग बचत पर टैक्स फ्री इंटरेस्ट पर कैप लगाया है. क्या इससे वेतनभोगियों को नुकसान नहीं होगा. इस मामले में वित्त राज्य मंत्री का कहना है, "कई लोगों ने पीएफ में निवेश का लाभ उठाया है जो टैक्स फ्री रिटर्न देते हैं, लेकिन यह लाभ हाई नेट-वर्थ इंडिविजुअलल्स (एचएनआई) द्वारा भी लिए जा रहे हैं, जिनमें से कुछ ने तो अपने पीएफ खातों में 2 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है. इससे यह सवाल उठता है कि क्या यह बचत कर्मचारियों के लिए है, या उन लोगों के लिए जिनके पास बड़ी संपत्तियां हैं. वे अपने पीएफ खातों में साल में 50 करोड़ रुपये जमा कर रहे हैं और 8 प्रतिशत का टैक्स फ्री रिटर्न ले रहे हैं. लिहाजा कैप लगने से आम आदमी के लिए तो कोई बदलाव नहीं हुआ है.

आईपीएल-2021 budget-2021 Anurag Thakur अनुराग ठाकुर वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर वित्त राज्य मंत्री यूनियन बजट ऐप
Advertisment
Advertisment
Advertisment