मोदी सरकार 2.0 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) की ओर से पेश किए गए आम बजट 2021 (Budget 2021) में आयकर में छूट के प्रावधानों पर नौकरीपेशा की नजरें थीं. ऐसे में उनकी उम्मीदों को झटका देते हुए इस बार भी बजट में इनकम टैक्स (Income Tax) स्लैब में कोई बदलाव नहीं किया गया. हालांकि वित्त मंत्री ने 75 साल के अधिक उम्र के बुजुर्गों के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइलिंग में राहत की घोषणा की है. इस लिहाज से देखें तो मोदी सरकार (Modi Government) का यह आठवां बजट था. 2014 में दिल्ली की सत्ता संभालते ही पीएम नरेंद्र मोदी ने बड़े स्तर पर आर्थिक सुधारों की घोषणा की थी, जिनमें कर सुधार भी प्राथमिकता पर थे. ऐसे में देखते हैं कि अब तक मोदी बजट में साल-दर-साल करदाताओं को लेकर क्या-क्या किया गया.
2021 में वरिष्ठ नागरिकों के लिए बड़ी राहत
बजट 2021 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सीनियर सिटीजन को टैक्स में राहत दी है. अब 75 साल से अधिक उम्र वाले पेंशनधारकों को आयकर नहीं भरना होगा. हालांकि वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि भुगतानकर्ता बैंक जरूरी कर काट लेंगे. इसके साथ ही छोटे करदाताओं के लिए मुकदमेबाजी को और कम करने के लिए विवाद समाधान समिति गठित करने का प्रस्ताव किया गया है. ये पारदर्शिता सुनिश्चित करेगी. 50 लाख रुपये तक की कर योग्य आय वाले और 10 लाख रुपये तक की विवादित आय वाले व्यक्ति इस समिति के समक्ष जाने के योग्य होंगे. इस कड़ी में टैक्स असेसमेंट की अवधि को कम करके 6 साल से 3 साल किया जा रहा है. इससे अब तीन साल से पुराने आयकर केस नहीं खोले जाएंगे. एनआरआई लोगों के लिए भी सहूलियतों की घोषणा की है. इस बार सरकार उन्हें डबल टैक्स सिस्टम से छूट दे रही है.
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2020 में हुई नए टैक्स स्लैब की घोषणा
2020 मे नया पर्सनल इनकम टैक्स रेजीम लॉन्च करने की घोषणा बजट में हुई और डिविडेंड डिस्ट्रीब्यूशन स्कीम को खत्म कर दिया गया. इसके अलावा 15 लाख रुपये तक की आमदनी वाले लोगों के लिए नए टैक्स स्लैब की घोषणा की गई. इसके मुताबिक 5 लाख तक की कमाई वाले लोगों के लिए जीरो टैक्स, 5 से 7.5 लाख पर 10 फीसदी, 7.5 लाख से 10 लाख पर 15 फीसदी और 10 से 12.5 लाख तक कमाने वाले लोगों पर 20 फीसदी टैक्स और 12.5 लाख से 15 लाख की कमाई पर 25 फीसदी आयकर लगाया गया.
2019 में 5 लाख की आय पर जीरो टैक्स
वर्ष 2019 में पेश अंतरिम बजट में मोदी सरकार ने इनकम टैक्स की छूट की सीमा को बढ़ाकर 5 लाख रुपये तक दी. यानी 5 लाख रुपये तक कमाने वाले लोगों को कोई टैक्स नहीं देना पड़ा. वहीं सैलरी क्लास के लिए 2019 में स्टैंडर्ड डिडक्शन की सीमा को 40,000 से बढ़ाकर 50,000 कियी गया था.
2018 में आयकरदाताओं को 5800 रुपये का फायदा
मोदी सरकार ने 2018 में पेश बजट में ट्रांसपोर्ट अलाउंस और मेडिकल भत्तों में 40,000 रुपये का स्टैंडर्ड डिडक्शन पेश किया था. लरिष्ठ नागरिकों के लिए मेडिकल खर्च में छूट की सीमा को 30,000 से बढ़ाकर 50,000 रुपये किया गया. इसके बाद 3 फीसदी एजुकेशन सेस को 4 फीसदी हेल्थ एंड एजुकेशन सेस से बदल दिया गया.
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2017 में टैक्स स्लैब में किया बदलाव
वर्ष 2016 में पेश आम बजट में मोदी सरकार ने इनकम टैक्स में बदलाव करते हुए सालाना 3.5 लाख रुपये आमदनी वाले लोगों के लिए टैक्स छूट 5000 रुपये से घटाकर 2500 रुपये कर दिया. वहीं, 2.5 लाख रुपये से 5 लाख रुपये आमदनी वाले लोगों के लिए इनकम टैक्स रेट के 10 फीसदी से घटाकर 5 फीसदी कर दिया. वहीं, 50 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये सालाना आमदनी वाले लोगों के लिए 10 फीसदी सरचार्ज लगाया गया था.
2016 में किराये पर रहने वालों को सौगात
वर्ष 2016 में पेश आम बजट में मोदी सरकार ने 5 लाख रुपये से कम आमदनी वाले किराये पर रहने वालों को सौगात देते हुए इनकम टैक्स के सेक्शन 80जीजी के तहत टैक्स छूट की सीमा को 24 हजार से बढ़ाकर 60,000 रुपये कर दिया था. सुपर रिच जिनका टैक्सेबल इनकम 1 करोड़ रुपये से अधिक था, उनपर सरचार्ज को 12 फीसदी से बढ़ाकर 15 फीसदी कर दिया. इसके अलावा जिन लोगों तो डिविडेंड के रूप में सालाना 10 लाख रुपये से अधिक मिलते हैं, उन पर 10 फीसदी आईटी टैक्स लगाया गया.
2015 में वेल्थ टैक्स हटाया
मोदी सरकार ने 2015 के बजट मे वेल्थ टैक्स को खत्म कर दिया और उसके सुपर रिच जिनकी करयोग्य आय 1 करोड़ रुपये से अधिक है, उनपर 2 फीसदी सरचार्ज लगा दिया और सरचार्ज को 10 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी कर दिया था. एनपीएस स्कीम के तहत 50,000 रुपये के एडिशनल डिडक्शन की घोषणा की गई. हेल्थ इंश्योरेंस के प्रीमियम पर मिलने वाली छूट को 15,000 से बढ़ाकर 25,000 रुपये किया गया था.
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2014 के बजट में टैक्स छूट की सीमा बढ़ी
मोदी सरकार ने अपने कार्यकाल के पहले वर्ष 2014 में वित्त वर्ष 2014-15 के लिए पेश बजट में इनकम टैक्स में छूट की सीमा को बढ़ाकर 2 लाख रुपये से 2.5 लाख रुपये कर दिया, वहीं सीनियर सिटीजंस के लिए टैक्स छूट की सीमा बढ़ाकर 3 लाख रुपये की. होम लोन पर चुकाये जाने वाले ब्याज में इनकम टैक्स डिडजक्शन की लिमिट को 1.5 लाख से बढ़ाकर 2 लाख रुपये कर दिया गया, वहीं इनकम टैक्स के सेक्शन 80सी के तहत मिलने वाली टैक्स छूट को 1 लाख से बढ़ाकर 1.5 लाख कर दिया.