Budget 2021: कोरोना के बाद अब मंदी की मार झेल रहे पॉवरलूम इंडस्ट्री की नज़र सरकार के आगामी बजट पर है. हैंडलूम के बाद अब पावरलूम इंडस्ट्री भी खतरे में है. इस उद्योग के सामने चुनौती क्या है आइए इस रिपोर्ट में जानने की कोशिश करते हैं. रोटी कपड़ा और मकान इंसान की बुनियादी जरूरत है. सरकार ने रोटी देने वाले किसानों के लिए कई योजना बनाई उसके लोगों के पास अपना मकान हो इसके लिए भी सरकारी सब्सिडी और ब्याज दर्ज में कमी से लोगों को राहत मिलता है लेकिन कपड़ा उद्योग अभी भी सरकार की तरफ आशा भरी नजरों से देख रहा है.
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करीब 5 लाख लोगों का रोजगार है जुड़ा
कपड़ा उद्योग की परेशानियों को जानने के लिए हम पहुंचे मुंबई के पास भिवंडी इलाके में जहां करीब 6 लाख पॉवरलूम चलते हैं और करीब 5 लाख लोगों का रोजगार इससे जुड़ा हुआ है, लेकिन इस इंडस्ट्री की हालत दिन पर दिन खराब होती जा रही है और अगर कुछ किया नही गया तो हैंडलूम की तरह पॉवरलूम इंडस्ट्री भी विलुप्त होने लगेगी. बता दें कि पॉवरलूम में यार्न से कपड़ा बनता है. मौजूदा समय में सट्टेबाजारी और सप्लाई की कमी के कारण यार्न के भाव में दो माह में 35 फीसदी की बढ्ढोत्तरी हो गई है. वहीं दूसरी तरफ कपड़ों को बिक्री घट रहा है. कपड़ा अपने उत्पाद में होने वाले खर्च से भी कम दाम में बिक रहा है, जिसके कारण लूम व्यवसाइयों का हाल बेहाल हो गया है और उम्मीदें सरकार पर टिकी है.
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यार्न का भाव दो महीने में 35 फीसदी बढ़ा
भिवंडी में तक़रीबन छह लाख से अधिक पॉवरलूम चलते है, जिसमें करीब साढ़े तीन लाख से अधिक मजदूर काम करते हैं. यहां पॉवरलूम के साथ हर कोई चाहे डायरेक्ट या इनडाइरेक्ट जुड़ा हुआ है. अनलॉक के बाद वस्त्रोद्योग में थोड़ी तेजी दिख रही थी, लेकिन मंदी आने से कपड़ा उद्योग की हालत काफी ख़राब हो गयी है. यार्न की सट्टा बाजारी के कारण यार्न का भाव दो महीने में 35 प्रतिशत बढ़ा है जिससे कपड़ा लागत से भी कम दाम में बिक रहा है. मंदी के कारण कई लूम पहले ही बंद हो चुके है बाकी बचे लूम भी नुकसान नही उठा पा रहे हैं. लूम मालिकों की उम्मीद है कि सरकार उन्हें नयी तकनीक वाले लूम खरीदने में सब्सिडी दे और बैंक लोन पर ब्याज दर भी कम करे.
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एक समय था जब भिवंडी इलाके में हैंडलूम पर काम होता था लेकिन अब हैंडलूम की जगह पॉवरलूम ने ले ली है. अनलॉक के बाद भी भिवंडी में सिर्फ 70 प्रतिशत लूम चल रहे हैं बाकी लूम्स अभी बंद पड़े हैं. इस उद्योग से जुड़े लोगों संकट की इस घड़ी में मोदी सरकार के आगामी बजट से उम्मीद लगाए बैठे हैं.