राजधानी दिल्ली के दिल में बना नॉर्थ ब्लॉक 1929 से देश की अर्थव्यवस्था के लिए ऐतिहासिक इमारत बना हुआ है. इस कत्थई रंग की इमारत के साथ अजीब संयोग (चाहें तो दुर्भाग्य भी कह सकते हैं) जुड़ा है. इसका डिजाइन महान आर्किटेक्ट हरबर्ट बेकर ने तैयार किया था, लेकिन बाद में कहा जाने लगा कि ऐसा किया था एडवर्ट लुटियंस ने. बाद के सालों में जब यहां भारत के वित्त मंत्रालय का हेड ऑफिस बना तो यहां भी कुछ ऐसा ही होने लगा. इस मंत्रालय का सबसे महत्वपूर्ण कार्य देश को सालाना बजट (Union Budget 2020-21) देना होता है. इसे तैयार करने वालों में अर्थशास्त्रियों, वित्त मामलों के जानकारों और तमाम दूसरे विशेषज्ञों की अहम भूमिका रहती है, लेकिन इसका पूरा श्रेय मिलता है वित्त मंत्री को.
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बजट से पहले नॉर्थ ब्लॉक में गुजरती हैं अधिकारियों की रात
इस बजट को बनाने में अधिकारी तीन महीने तक दिन रात एक कर मेहनत करते हैं. इनके लिए अपने परिवार के सदस्यों के लिए भी वक्त नहीं होता है. ये पूरी दुनिया से कटे हुए होते हैं. ये सोते जागते बस बजट की तैयारी में लगे रहते हैं. इस दौरान नॉर्थ ब्लॉक के आसपास बिना कारण घूमना भी खतरे से खाली नहीं होता है. अगर कोई ऐसा करता है तो सुरक्षाकर्मी उसे जेल में ठूंस सकते हैं. पहले बजट 28 फरवरी को पेश किया जाता था. तब फरवरी के तीसरे सप्ताह तक बजट बन कर लगभग पूरा हो जाता है. इसे नॉर्थ ब्लॉक के उस कमरे में रखा जाता है जहां परिंदा भी पर नहीं मार सकता है. हर साल की तरह बजट की तैयारी से जुड़े अधिकारियों के सुबह आने का समय तो होता है लेकिन रात के जाने का नहीं. बजट का समय जैसे-जैसे करीब आता है इन अधिकारियों का घर जाने का भी समय नहीं रहता. तब यह नॉर्थ ब्लॉक में ही रहने लगते हैं.
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चैंबर, संस्थाओं और संगठनों की ली जाती है राय
हमेशा की तरह इस बार का बजट भी वित्त सचिव, राजस्व सचिव और सचिव व्यय की देखरेख में बन रहा है. इनकी हर रोज कई बार वित्त मंत्री से इस बजट पर बातचीत होती है. बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहता है. बैठक या तो नॉर्थ ब्लॉक में होती है या वित्त मंत्री के निवास पर. जानकारी के मुताबिक उपर्युक्त सभी सचिवों के नेतृत्व में बजट की तैयारी चलती है लेकिन वित्त सचिव का स्थान खास होता है. उन्हें प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री बार-बार अपने दफ्तर में बजट की तैयारी के लिए तलब करते रहते हैं. पिछले कुछ सालों में वित्त मंत्री अपने खास सलाहकारों को भी बजट की टीम में रखने लगे हैं. बजट से पहले तमाम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष करों को अंतिम रूप दिया जाता है। इसके अलावा बजट बनाने के लिए विभिन्न चैंबरों, संस्थाओं और संगठनों से बातचीत की जाती है और उनकी राय ली जाती है. सलाहकार उन सभी क्षेत्रों पर निगाह रखते हैं जिससे सरकार के राजस्व में इजाफा होता है. इनके अलावा अतिरिक्त सचिव व्यय, योजना आयोग के सदस्य सचिव और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद भी बजट बनाने में मदद करती है. इस दौरान पूरी टीम को प्रधानमंत्री, वित्त मंत्री, योजना आयोग के उपाध्यक्ष और आर्थिक सहालकार परिषद का सहयोग मिलता रहता है.
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बजट से जुड़े कुछ तथ्य
आम बजट में देश के सभी मंत्रालयों और विभागों में साल भर में खर्च किए जाने वाली मदों और राजस्व प्राप्ति का ब्यौरा रहता है. किन-किन योजनाओं पर साल भर में कितना खर्च करना है इसकी सभी जानकारी इस बजट में होती है. यह कुछ इस तरह ही होता है जैसे एक नौकरी पेशा आदमी अपने महीने का बजट तैयार करता है. आम बजट में एक वित्तीय वर्ष यानि 1 अप्रैल से 31 मार्च का लेखा जोखा होता है.
रेल बजट पहले आम बजट का ही हिस्सा होता था लेकिन जब रेल बजट, आम बजट के लगभग 70 प्रतिशत तक पहुंच गया तो इस पर व्यापक ध्यान देने के लिए रेल बजट को आम बजट से अलग कर दिया गया. 1 अप्रैल 2017 को एक फिर रेल बजट को आम बजट में शामिल कर दिया गया. रेल बजट को रेल मंत्री अलग से पेश नहीं करते हैं. इससे पहले रेल बजट को आम बजट से पहले पेश किया जाता है. अमूमन यह 25 फरवरी को पेश होता था.
बजट का समय
पहले आम बजट को फरवरी के अंतिम संसदीय कार्यकारी दिन को पेश किया जाता था. बजट पेश करने का समय वर्ष 2000 तक शाम 5 बजे का होता था. ब्रिटिश शासन काल में भारत का बजट ब्रिटेन में दोपहर को पास होता था. इसके बाद शाम 5 बजे इसे भारतीय संसद में पेश किया जाता था. 2001 में एनडीए के शासन काल में बीजेपी के वित्त मंत्री यशवंत सिंह ने सालों से चली आ रही इस परंपरा को तोड़ बजट का समय सुबह 11 बजे का किया. तब से बजट सुबह 11 बजे पेश किया जाता है. अब मोदी सरकार ने आम बजट पेश किए जाने का समय 1 फरवरी को तय कर दिया है. अब 1 फरवरी को आम बजट पेश किया जाता है.
HIGHLIGHTS
- 1 फरवरी को पेश किया जाता है देश का आम बजट
- बजट की तैयारी में रातभर मंत्रालय में ही रहते हैं अधिकारी
- बजट के जुड़ा जानकारी लीक न हो इसके लिए होते हैं पुख्ता इंतजाम
Source : News Nation Bureau