Budget 2023: मोदी सरकार 2.0 के आखिरी पूर्ण बजट से आम आदमी को आयकर में ये है अपेक्षित

बजट 2023-24 से आर्थिक विश्लेषक उच्च कटौती सीमा के अलावा आयकर छूट सीमा में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं. गौरतलब है कि आयकर छूट में कई सालों से कोई बदलाव नहीं किया गया है. अगले साल चुनावी समर होने से नौकरीपेशा वर्ग राहत की भी उम्मीद कर रहा है.

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Nihar Saxena
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चुनावी साल से पहले आखिरी पूर्ण बजट से नौकरीपेशा को है भारी उम्मीदें.( Photo Credit : न्यूज नेशन)

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मोदी सरकार 2.0 (Modi Government 2.0) के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) अंतिम पूर्ण केंद्रीय बजट 2023-24 (Union Budget 2023) आज पेश करने जा रही हैं. 2024 के चुनावी साल (Loksabha Elections 2024) होने से आम आदमी आयकर दरों और स्लैब में बदलाव की घोषणाओं की अपेक्षा कर रहा है. आम आदमी के अलावा आर्थिक विश्लेषक भी उच्च कटौती सीमा के अलावा आयकर छूट सीमा (Income Tax)  में वृद्धि की उम्मीद कर रहे हैं. रोजगार के मोर्चे समेत महंगाई और स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर नौकरीपेशा वर्ग खासा आशान्वित है. मंगलवार को संसद में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के अभिभाषण के बाद पेश किए आर्थिक सर्वेक्षण से भी उम्मीदें बढ़ रही है कि इस बार नौकरीपेशा को चुनावी साल के पहले लाभ मिल सकता है. खासकर नौकरीपेशा आयकर स्लैब में छूट की अपेक्षा कर रहा है. 

अधिक कर छूट या रिबेट
पिछले साल सरकार ने बजट 2022-23 में किसी नए प्रावधान की घोषणा नहीं की थी. अब बजट 2023-2024 में उम्मीद की जा रही है कि सरकार कर छूट या रिबेट की सीमा बढ़ाकर व्यक्तिगत करदाताओं को राहत दे सकती है. भूलना नहीं चाहिए वेतनभोगी कर्मचारी भारत में प्रमुख आयकर योगदानकर्ताओं में से एक हैं. हाल-फिलहाल उनका सालाना 2.5 लाख रुपये तक का वेतन आयकर मुक्त है. आयकर स्लैब सिस्टम के आधार पर करदाताओं पर लगाया जाता है. साथ ही अगर एक साल में कुल सैलरी 5 लाख रुपये से कम है, तो यह भी टैक्स फ्री है. हालांकि यह धारा 87ए के तहत रिबेट है, छूट नहीं. अगर सैलरी एक साल में 5 लाख रुपये से ऊपर जाती है, तो 2.5 लाख रुपये की छूट की सीमा को छोड़कर पूरी रकम पर टैक्स लागू होगा. अब आयकर छूट की सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की मांग की जा रही है.

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आयकर कटौती की सीमा बढ़े
बजट 2023-24 में सेक्शन 80सी के तहत छूट सीमा को मौजूदा 1.5 लाख रुपये से बढ़ाने की मांग की जा रही है. आयकर कटौती विशिष्ट श्रेणियों से संबंधित है, जो एक करदाता किए गए निवेश (धारा 80सी) या व्यय की गई राशि (धारा 80डी या धारा 80ई) से लाभ उठा सकता है. रियल एस्टेट सेक्टर भी सरकार से धारा 80 सी के अलावा जमीन-जायदाद खरीद के लिए एक अलग श्रेणी प्रदान करने का आग्रह कर रहा है. गौरतलब है कि मौजूदा 80सी की सीमा करीब एक दशक पहले तय की गई थी.

अधिक गृह ऋण कर प्रोत्साहन
होम लोन के मूलधन और ब्याज भुगतान पर आयकर छूट में वृद्धि की भी उम्मीदें हैं. गौरतलब है कि गृह ऋण के ब्याज भुगतान पर अधिकतम आयकर कटौती का दावा पेश किया जा सकता है जो खुद की संपत्ति पर प्रति वित्त वर्ष 2 लाख रुपये है. हालांकि देश भर में संपत्ति की कीमतें पिछले पांच वर्षों में बढ़ी हैं. इसके साथ देश ने पिछले कुछ वर्षों में 6-7 प्रतिशत की मुद्रास्फीति भी देखी है. घरों के वर्तमान मूल्य बैंड को ध्यान में रखते हुए, धारा 24(बी) के अनुसार आवास ऋण पर 2 लाख रुपये की कर बचत सीमा को बढ़ाने की आवश्यकता है. आर्थिक विशेषज्ञों की भी यही राय है कि संपत्ति की कीमत की परवाह किए बिना सीमा को कम से कम 3 लाख रुपये तक बढ़ाने की जरूरत है.

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एलटीसीजी टैक्स राहत
उम्मीदें यह भी हैं कि सरकार बजट 2023 के माध्यम से बाजार में खुदरा म्यूचुअल फंड और स्टॉक निवेशकों को दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ (एलटीसीजी) कर राहत प्रदान करे. इक्विटी पर एलटीसीजी को हटाना फायदेमंद रहेगा, जो कि वर्तमान में पूंजीगत लाभ एक वित्तीय वर्ष में 1 लाख रुपये से अधिक होने पर 10 फीसद लगती है. इसके साथ ही एसटीसीजी पर एक लाख रुपये तक कर छूट देना भी छोटी जमा बचत पर ध्यान देने वाले नौकरीपेशा वर्ग के लिए अच्छा रहेगा. 

बीमा पर कर प्रोत्साहन
बजट 2023 में भी बीमा पर कर प्रोत्साहन बढ़ाने की उम्मीद कर रहे हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्रीय बजट बड़े पैमाने पर नागरिकों और राष्ट्र की भलाई के लिए नए सुधारों को पेश करने का एक अवसर दे सकता है. वह भी तब जब भारत में जीवन बीमा क्षेत्र के रूप में सर्वोपरि हित हमेशा अधिक नागरिकों का बीमा करना और यह सुनिश्चित करना रहा है कि उनके पास उपयुक्त कवरेज हो.

HIGHLIGHTS

  • इस बार नौकरीपेशा को चुनावी साल के पहले लाभ मिल सकता है
  • आयकर छूट सीमा बढ़ाकर 5 लाख रुपये करने की मांग की जा रही
  • होम लोन के मूलधन और ब्याज भुगतान स्लैब में वृद्धि की भी उम्मीदें
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