Union Budget 2024: बजट 2024-25 पेश होने की घड़ी अब नजदीक आ चुकी है. 23 जुलाई को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इसे संसद में पेश करेंगी. इस बजट पर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं, क्योंकि इसमें सरकार जो नीतियां लगाएगी, उनसे देश के आर्थिक विकास की दिशा और दशा को तय होगी. ऐसे में सरकार के सामने 500 अरब डॉलर का एक बड़ा मौका इंतजार कर रहा है, क्या सरकार उसे भुनाएगी. अगर हां, उससे आपकी चांदी कैसे होगी. आइए जानते हैं.
क्या इंपोर्ट ड्यूटी घटाएगी सरकार?
भारत में मैन्युफैक्चरिंग और मैन्युफैक्चर्ड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट में ग्रोथ में अपार संभावनाएं हैं, लेकिन इसमें देश की ग्रोथ में इंपोर्ट ड्यूटीज् बड़ा रोड़ा बने हुए हैं, जिसकी वजह से देश इस सेक्टर में अच्छे से ग्रोथ नहीं कर पा रहा है. सवाल उठता है कि बजट 2024-25 में इंपोर्ट ड्यूटी टैरिफ को घटा सकती है और क्या इस दिशा में कोई लचीला रूख अपना सकती है. अब आइए समझते हैं कि इंपोर्ट ड्यूटी को घटाने की क्यों जरूरत है.
इंपोर्ट ड्यूटी घटाने की क्यों जरूरत?
भारत में स्मार्टफोन और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स जो कंपनियां हैं, उनके सामने बढ़े हुए इंपोर्ट ड्यूटी टैरिफ एक बड़ी समस्या है, जिसके चलते वो स्मार्टफोन और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स बनाने में इस्तेमाल होने वाले कंपोनेंट्स जैसे डिस्प्ले, सर्किट बोर्ड और अन्य जरूरी पार्ट्स महंगे पड़ते हैं. इससे उन प्रोडेक्ट्स की लागत बढ़ जाती है. ऐसा होने से भारतीय स्मार्टफोन और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां ग्लोबल मार्केट के तालमेल नहीं बैठा पाती हैं.
नतीजतन, भारतीय स्मार्टफोन और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियां अपने प्रोडक्ट्स को अन्य देशों में एक्सपोर्ट नहीं कर पाती हैं. ऐसा रूख 2018 से अख्तियार कर रखा है, जब फ्री ट्रेड की बातें चल रही थीं, लेकिन सरकार ने इसको लेकर एक अलग ही स्टैंड अपनाया और इंपोर्ट ड्यूटी को बढ़ाना शुरू कर दिया. बता दें कि मोबाइल फोन कंपोनेंट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी 15% से बढ़ाकर 20% कर गई. ऐसा ही कुछ प्रिटेंड इलेक्ट्रॉनिक सर्किट्स और बॉर्ड्स के साथ किया गया. सरकार ने इन पर इंपोर्ट ड्यूटी टैरिफ बढ़ाकर 11% कर दिया.
इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ने से क्या हुआ?
बढ़ी हुई इंपोर्ट ड्यूटी के चलते भारतीय स्मार्टफोन और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों को अपने प्रोडक्ट्स को आगे एक्सपोर्ट करने में काफी दिग्गतें सामने आईं. हाल में नीति आयोग के साथ सरकार की एक बैठक हुई थी, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण समेत तमाम केंद्रीय मंत्री शामिल हुए. इस मीटिंग में इस मामले में ये विचार हुआ कि आगे क्या किया जा सकता है.
बता दें कि कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स का मार्केट दुनियाभर में करीब 4.3 ट्रिलियन डॉलर का है, जिसमें भारत हर साल 25 बिलियन डॉलर यानी 25 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट करता है, जो कि अगर आप मार्केट के हिसाब से देखेंगे तो वह एक फीसदी से कम बैठता है. ऐसे में यही बात सामने आ रही है कि क्या सरकार इन टैरिफ्स को कम कर सकती है. वहीं नीति आयोग ने गुरुवार को सरकार के सामने भी यही सिफारिश की है.
नीति आयोग ने की ये सिफारिश
नीति आयोग ने सरकार से कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट्स पर इंपोर्ट ड्यूटी टैरिफ को घटाया जाए, ताकि इस पूरे मार्केट को बढ़ाया जा सके. नीति आयोग ने कहा अगर ऐसा किया जाता है तो डोमेस्टिक इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री पांच गुना बढ़ सकती है. इसके 2030 तक 500 अरब डॉलर तक पहुंचने के पर्याप्त आसार हैं. वित्त वर्ष 2023-24 में इसका साइज 101 अरब डॉलर का है. अब ये देखना बड़ी बात होगी है कि इस बजट में सरकार इंपोर्ट ड्यूटी घटाकर इस 500 अरब डॉलर के मौके को भुनाने की दिशा में पहला कदम उठाती है या नहीं.
इंपोर्ट ड्यूटी घटी तो होंगे ये फायदे
अगर सरकार ऐसा करती है तो इससे भारतीय स्मार्टफोन और कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स कंपनियों की चांदी हो जाएगी. वे अपने प्रोडक्स को एक्सपोर्ट कर पाएंगी. ऐसा होने से उनको एक बड़ा बाजार मिलेगा, जिससे उनके सामने आर्थिक विकास के कई रास्ते खुलेंगे. कुल मिलाकर कहें तो ऐसा होने से ग्रोथ की एक ऐसी साइकिल तैयार होगी, जिससे कंपनी मालिकों, कमर्चारियों और आम लोगों को फायदा मिलेगा और उनकी चांदी होगी.
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Source : News Nation Bureau