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Budget 2024: एक बार फिर चर्चाओं में है 'ब्लैक बजट' का दौर, जानें देश में क्यों आई थी ऐसी नौबत?

बजट देश की आर्थिक दिशा तय करता है और आम जनता की उम्मीदों का प्रतिबिंब होता है. हर बजट का अपना महत्व और विशेषता होती है. 1973-74 का 'काला बजट' एक महत्वपूर्ण आर्थिक घटना थी, जिसने देश की आर्थिक नीतियों और प्रबंधन में एक महत्वपूर्ण मोड़ प्रदान किया.

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Ritu Sharma
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Budget 2024 compare black budget

क्या था काला बजट( Photo Credit : News Nation )

Budget 2024: बजट से हर आम और खास इंसान को कई उम्मीदें होती हैं. ये एक ऐसा समय होता है जब देश की आर्थिक नीतियों और योजनाओं का खाका खींचा जाता है. हालांकि, देश के इतिहास में एक ऐसा बजट भी पेश किया गया जिसे 'काला बजट' के नाम से जाना जाता है. ये बजट ऐसे समय में पेश किया गया था जब देश गंभीर आर्थिक संकट से जूझ रहा था. अब एक बार फिर बजट की चर्चा शुरू हो गई है क्योंकि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल का पहला बजट पेश करने जा रही हैं. इस अवसर पर आइए जानते हैं देश के काले बजट की कहानी और इसे ये नाम क्यों दिया गया?

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ब्लैक बजट की आवश्यकता क्यों पड़ी?

आपको बता दें कि 1973-74 के बजट को 'ब्लैक बजट' के नाम से जाना जाता है. उस समय केंद्र में इंदिरा गांधी की सरकार थी और यशवंतराव बी चव्हाण वित्त मंत्री थे. साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंग के बाद देश की अर्थव्यवस्था गंभीर संकट में थी. इसके अलावा, मानसून की विफलता के कारण देश में सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. इन सभी परिस्थितियों ने सरकार को कई मोर्चों पर चुनौती दी. आर्थिक स्थिति को स्थिर करने के लिए सरकार द्वारा कई उपाय किए जा रहे थे.

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काला बजट का नाम कैसे पड़ा?

वहीं 1973-74 का बजट घाटे का बजट था, जिसमें 550 करोड़ रुपए का घाटा था. इस बजट को 'काला बजट' इसलिए कहा गया क्योंकि यह सरकार की कमाई की तुलना में खर्च को अधिक दिखाता था. यशवंतराव चव्हाण ने बजट पेश करते हुए कहा था कि सूखे के कारण खाद्यान्न उत्पादन में भारी कमी आई है, जिससे बजटीय घाटा बढ़ गया है. इस प्रकार, सरकार को आर्थिक संकट से निपटने के लिए काला बजट पेश करना पड़ा.

ब्लैक बजट की विशेषताएं

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बता दें कि जब सरकार का खर्च उसकी कमाई की तुलना में अधिक हो जाता है, तो इसे 'ब्लैक बजट' कहा जाता है. इसका मतलब है कि सरकार को अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए बजट में कटौती करनी पड़ती है. उदाहरण के लिए, अगर सरकार की कमाई 1000 रुपए है लेकिन उसका खर्च 1200 रुपए है, तो उसे अपनी योजनाओं में कटौती करनी होगी. आजाद भारत में सिर्फ एक बार ही ब्लैक बजट पेश किया गया था, जो इंदिरा गांधी की सरकार द्वारा 1973-74 में पेश किया गया था. इस बजट में 550 करोड़ रुपए का घाटा दिखाया गया था, जो उस समय देश में चर्चा का विषय बना.

अन्य बजट और उनके नाम

इसके बाद कई बजट पेश किए गए जिन्हें अलग-अलग नामों से जाना गया. जैसे- 'ड्रीम बजट', 'रोलबैक बजट', 'मिलेनियम बजट' और 'वंस इन अ सेंचुरी बजट'. इन बजटों को उनकी खासियतों के कारण ये नाम दिए गए थे. 1997-98 के बजट को 'ड्रीम बजट' कहा गया था, जिसे तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने पेश किया था. इस बजट में कई आर्थिक सुधार पेश किए गए थे, जिनमें आयकर दरों को कम करना, कॉर्पोरेट कर अधिभार को हटाना और कॉर्पोरेट कर दरों को कम करना शामिल था.

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HIGHLIGHTS

  • एक बार फिर चर्चाओं में है 'ब्लैक बजट' का दौर
  • क्यों पेश करना पड़ा था ब्लैक बजट?
  • जानें देश में क्यों आई थी ऐसी नौबत?

Source : News Nation Bureau

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