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Budget 2024: रियल एस्टेट मांगे GST से राहत! जानें इंडस्ट्री को क्या है बजट से उम्मीदें?

वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्ण बजट तैयार करने का काम जोरों पर चल रहा है. इस समय वित्त मंत्री और मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी उद्योग जगत के प्रतिनिधियों से मिल रहे हैं. उनकी बातें सुन रहे हैं.

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Ritu Sharma
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Budget 2024 Real estate demands

बजट रियल एस्टेट( Photo Credit : News Nation )

Budget 2024: केंद्र में नई सरकार का गठन हो गया है और नरेंद्र मोदी 3.0 सरकार में निर्मला सीतारमण को फिर से वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई है. नई सरकार के साथ ही वित्त मंत्रालय ने चालू वित्त वर्ष के लिए बजट बनाने की तैयारी शुरू कर दी है. इसके लिए वित्त मंत्रालय के अधिकारी और वित्त मंत्री विभिन्न उद्योग क्षेत्रों के प्रतिनिधियों से मिल रहे हैं. इसी कड़ी में रियल एस्टेट क्षेत्र भी अपनी मांगों को वित्त मंत्रालय के सामने रख रहा है, जिसमें जीएसटी छूट की प्रमुखता है. रियल एस्टेट जगत का मानना है कि जीएसटी छूट का पूरा लाभ अभी नहीं मिल पा रहा है, जिसे सुधारने की जरूरत है.

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सस्ते मकानों का प्रोत्साहन जारी रहे

नेशनल रियल एस्टेट डेवलपमेंट काउंसिल (नारेडको) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जी हरि बाबू का कहना है कि सरकार को किफायती और सस्टेनेबल आवास के लिए पहलों को प्राथमिकता देना जारी रखना चाहिए. सस्ते मकानों का समर्थन करने वाली नीतियां आवास की कमी को पूरा करने के साथ ही सभी नागरिकों के लिए आवश्यक जीवन स्तर को सुनिश्चित करेंगी. इसके अलावा, सस्टेनेबल आवास को बढ़ावा देना वैश्विक रुझानों और मानकों के अनुरूप है, जो पर्यावरण संबंधी चिंताओं को हल करता है. इससे भारत हरित विकास में अग्रणी बन सकता है. उन्होंने वित्त मंत्रालय से किफायती एवं मध्यम आय आवास के लिए विशेष विंडो (SWAMIH) के तहत 50,000 करोड़ रुपये की दूसरी सहायता और जीएसटी के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट की अनुमति देने की मांग की है.

जीएसटी से जुड़े नियमों में बदलाव की आवश्यकता

आपको बता दें कि जी हरि बाबू ने कहा कि सभी नई परियोजनाओं के लिए इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) से इनकार करने से आपूर्ति श्रृंखला बाधित होती है, क्योंकि खरीद पर पूरा जीएसटी डेवलपर्स द्वारा वहन किया जाता है. इससे निर्माण की लागत बढ़ जाती है और नकदी प्रवाह पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसका अंतिम खामियाजा ग्राहकों को भुगतना पड़ता है. उन्होंने मेट्रो शहरों में प्रति वर्ग फीट कार्पेट एरिया की औसत दर 7,000 रुपये का उल्लेख किया, जो कि 'किफायती आवासीय अपार्टमेंट' के लिए जीएसटी कानून में दिए गए प्रावधान से अधिक है. इस कारण मेट्रो शहरों में अधिकांश परियोजनाओं को किफायती आवास का लाभ नहीं मिल पाता है. इसमें सुधार की आवश्यकता है.

बजट से महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद

वहीं लोहिया वर्ल्डस्पेस के डायरेक्टर पीयूष लोहिया ने कहा कि आगामी बजट से महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद है. हम विशेष रूप से करों में सुधार और बुनियादी ढांचे में निवेश बढ़ने की उम्मीद कर रहे हैं. आवास पर जीएसटी को आसान बनाना एक महत्वपूर्ण कदम होगा, जिससे घर अधिक किफायती बनेंगे और मांग बढ़ेगी। ये उपाय न केवल रियल एस्टेट सेक्टर के लिए बल्कि व्यापक आर्थिक विकास, रोजगार सृजन और छोटे व्यवसायों को समर्थन देने के लिए महत्वपूर्ण हैं.

होम लोन पर ब्याज कटौती की सीमा बढ़े

आपको बता दें कि पीयूष लोहिया ने कहा कि मकान के खरीदारों को प्रोत्साहित करने के लिए आयकर अधिनियम 1961 की धारा 24 के तहत होम लोन पर ब्याज कटौती की वर्तमान सीमा को हटाया जाना चाहिए, ताकि मकानों की समग्र मांग को बढ़ावा मिल सके. इसके अलावा, उधार लेने के वर्ष से अधिग्रहण/पूरा होने के लिए पांच वर्ष की अवधि को समाप्त किया जाना चाहिए. इससे अधिक से अधिक लोग नए मकान खरीदने के लिए प्रोत्साहित होंगे.

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अफोर्डेबल हाउसिंग सेगमेंट को फिर से जीवित करना

हाउसिंग.कॉम के ग्रुप सीईओ ध्रुव अगरवाला ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में बड़े नगरों और टियर I एवं टियर II शहरों में अफोर्डेबल मकानों की मांग और आपूर्ति में उतार-चढ़ाव देखा गया है. सरकार इस बजट में कुछ ऐसा करे जिससे 15 से 75 लाख रुपये प्रति यूनिट वाले मकानों की मांग और आपूर्ति दोनों फिर से जीवित हों. ब्याज सब्सिडी कार्यक्रम शुरू करने से संभावित घर खरीदारों को प्रभावी प्रोत्साहन मिल सकता है. अगरवाला के अनुसार, सरकार रणनीतिक रूप से निजी डेवलपर्स के साथ साझेदारी में अपने व्यापक लैंड बैंक में से जमीन सस्ते दरों पर ऑफर कर सकती है.

सिंगल विंडो क्लियरेंस की जरूरत

आपको बता दें कि सिग्नेचर ग्लोबल (इंडिया) लिमिटेड के फाउंडर एवं चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल ने कहा कि बजट में रियल एस्टेट सेक्टर को ग्रोथ और कार्यकुशलता को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधारों की घोषणा की आशा है. रियल एस्टेट को इंडस्ट्री का दर्जा मिलने से निवेश आकर्षित होगा और रेगुलेशन सुदृढ़ होगा. एक सरल सिंगल विंडो क्लियरेंस सिस्टम होने से परियोजनाओं की स्वीकृति जल्द होगी, देरी में कमी आएगी और प्रोजेक्ट का संपूर्ण कार्यान्वयन जल्द होगा.

HIGHLIGHTS

  • रियल एस्टेट में GST में मिले राहत
  • जीएसटी से जुड़े नियमों में बदलाव की आवश्यकता
  • इंडस्ट्री को क्या है बजट से उम्मीदें?

Source : News Nation Bureau

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