Budget 2024: मोदी सरकार 3.0 जुलाई में अपना बजट पेश करने वाली है. निवेशकों को बड़ा तोहफा मिल सकता है, क्योंकि इसको लेकर कुछ उम्मीदें सामने आई हैं, वो बड़ी आस जाग रही हैं. अनुमान लगाया जा रहा है कि बजट में निवेशकों के लिए बड़े ऐलान हो सकते हैं. बजट को लेकर जिस बात पर सबकी निगाहें टिकी रहती हैं, वो है राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit). इससे देश की आर्थिक स्थिति की सही तस्वीर सामने आती है. इसको देखते हुए निवेशक भी पैसा इन्वेस्ट करते हैं.
निवेशकों के हाथ नहीं लगेगी निराशा
ऐसी उम्मीदें जताई जा रही हैं कि बजट से निवेशकों को किसी भी तरह की निराशा हाथ नहीं लगेगी. ऐसे कायस लगाए जा रहे हैं कि सरकार वित्तीय अनुशासन पर कायम रहेगी. वह वित्तीय अनुशासन से कोई समझौता नहीं करेगी. मोदी सरकार तब से सत्ता में आई है यही कोशिश रही है कि राजकोषीय घाटे को कम किया जाए. आगामी बजट में भी यह दिख सकता है. अतंरिम बजट में फिक्सल डेफिसिएट का लक्ष्य जीडीपी का 5.1 फीसदी रखा गया था. इस बार के बजट में इसको घटाकर 5 फीसदी या फिर उससे कम किए जाने की उम्मीद है. इसके बड़े मायने हैं कि सरकार वित्तीय अनुशासन में बनी रहेगी और अनाप-शनाप खर्चा नहीं करेगी.
क्यों घट सकता है फिक्सल डेफिसिएट
इसके पीछे कई वजह हैं, जिनमें से प्रमुख कुछ इस प्रकार हैं-- आरबीआई से 2.1 लाख करोड़ रुपये का बंपर डिविडेंट मिला, जो उम्मीद से दो गुने से ज्यादा था. डायरेक्ट टैक्स की वसूली में अबतक 23 फीसदी से ज्यादा की वसूली देखने को मिल चुकी है. पिछले साल अप्रैल-मई की अवधि की तुलना में जीएसटी कलेक्शन 11 फीसदी बढ़ चुका है. सरकार सब्सिडी पर बहुत ज्यादा खर्च होने की उम्मीद नहीं दिख रही है. चाहे फर्टिलाइजर सब्सिडी हो, हालांकि होम लोन सब्सिडी में बढ़ोतरी देखने को मिल सकती है.
दरअसल, सरकार ऐसे भी बदलाव नहीं करेगी, जिससे निवेशकों को कई मायूसी हाथ लगे. बजट में बाजार सबसे पहले फिक्सल डेफिसिएट के लक्ष्य को सुनना चाहता है. ऐसी उम्मीदें जताई जा रही हैं कि सरकार इसमें कटौती कर सकती हैं. अंतरिम बजट में फिक्सल डेफिसिएट का लक्ष्य 5.1 फीसदी बोला गया था. हो सकता है कि सरकार इस पर टिकी रहे. यह भी हो सकता है कि इसमें कटौती करते हुए सरकार इसे 5 फीसदी तक कर सकती है.
क्या होता है राजकोषीय घाटा
राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit) का अर्थ सरकार की कुल कमाई और खर्च के बीच का अंतर होता है. सरकार खर्च पूरा करने के लिए कितना पैसा उधार लेगी वह राशि ही राजकोषीय घाटा है. वास्तव में राजकोषीय घाटा ही देश की आर्थिक स्थिति की सही तस्वीर पेश करता है और यह वह नंबर होता है, जिसपर शेयर बाजार के निवेशकों से लेकर रेटिंग एजेंसियों तक की नजरें टिकी होती हैं. अगर फिक्सल डेफिसिएट घटता है, तो इसे देश की अच्छी आर्थिक स्थिति का सूचक माना जाता है. ऐसे में निवेशकों को उस देश में पैसा लगाने के लिए भरोसा जागता है.
Source : News Nation Bureau