मोदी सरकार के अंतरिम बजट में नौकरीपेशा लोगों को बड़ी राहत दी गई है. सरकार की ओर से कर्मचारियों की ग्रेच्युटी को डबल कर दिया गया है. पहले यह लिमिट 10 लाख की थी, जिसे बढ़ाकर 20 लाख कर दिया गया है. ग्रेच्युटी का भुगतान अधिनियम, 1972 के तहत नौकरीपेशा कर्मचारियों को किया जाता है. यह उन सभी संस्थानों पर लागू होता है, जिसमें 10 या इससे अधिक कर्मी होते हैं.
रिटायर होने के बाद कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करना इसका मुख्य मकसद है. कर्मचारी अगर कंपनी या संस्थान में रिटायरमेंट के बाद या फिर शारीरिक अपंगता के चलते काम करना बंद कर दे तो उसे शर्तों के साथ ग्रेच्युटी मिलती है. ग्रेच्युटी किसी भी कर्मचारी को तभी मिलती है जो नौकरी में लगातार करीब 5 साल तक काम कर चुका हो. ऐसे कर्मचारी की सेवा को पांच साल की अनवरत सेवा माना जाता है. आमतौर पर 5 साल की सर्विस के बाद ही कोई कर्मचारी ग्रेच्युटी का हकदार बनता है.
ग्रेच्युटी का गणित
आमतौर पर लोगों को अपनी ग्रेच्युटी का पता नहीं होता है लेकिन इसका कैलकुलेशन बेहद आसान है. दरअसल, 5 साल की सर्विस के बाद सेवा में पूरे किए गए हर साल के बदले अंतिम महीने के बेसिक वेतन और महंगाई भत्ते को जोड़कर उसे पहले 15 से गुणा किया जाता है. इसके बाद सर्विस में दिए गए सालों की संख्या से भाग दिया जाता है. इसके बाद हासिल होने वाली रकम को 26 से भाग दे दिया जाता है. जो रकम बनती है वही आपकी ग्रेच्युटी है.
Source : News Nation Bureau