योगेंद्र यादव एक भारतीय सामाजिक वैज्ञानिक और चुनाव विश्लेषक हैं. राजनीति क्षेत्र में मंझे हुए खिलाड़ी हैं. उनका विश्लेषण बहुत ही सटीक होता है. उनको शुरू से ही राजनीति और सामाजिक विज्ञान में काफी रुचि थी. उन्होंने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय, पंजाब विश्वविद्यालय और राजस्थान विश्वविद्यालय से शिक्षा प्राप्त की है. उनका जन्म 5 सितंबर 1963 को हुआ था. उनकी पत्नी का नाम मधुलिका बनर्जी है.
योगेंद्र यादव दिल्ली के csds के वरिष्ठ शोध फेलो भी रहे हैं. योगेंद्र यादव 2015 तक आम आदमी पार्टी के राजनीतिज्ञ रहे हैं. उन्होंने 2015 में आम आदमी पार्टी छोड़ दी. इसके बाद उन्होंने स्वराज इंडिया नामक पार्टी की स्थापना की. स्वराज अभियान भारतीय किसानों की गंभीर समस्या को उठाते हैं.
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'आप' को मजबूत करने में अहम भूमिका
आम आदमी पार्टी को मजबूत करने में योगेंद्र यादव की अहम भूमिका थी. योगेंद्र यादव की बदौलत पार्टी ने 2013 में शानदार जीत दर्ज की थी. इसके बाद 2015 में हुए विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीट पर जीत दर्ज की थी. जो कि दिल्ली के इतिहास में पहली बार ऐसा कारनामा हुआ था. 2015 में ही पार्टी प्रमुख और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ विवाद हो गया. उन्होंने 2015 में पार्टी छोड़ दी.
वर्तमान राजनीतिक परिस्थिति
योगेंद्र यादव की पार्टी ने दिल्ली में 2016 में एमसीडी का चुनाव लड़ा था. पार्टी ने सही प्रदर्शन नहीं कर पाई थी. योगेंद्र यादव ने लोकसभा चुनाव 2019 में दिल्ली की मतदाता से नोटा दबाने की अपील की थी. उन्होंने कहा कि दिल्ली में किसी भी राजनीतिक दल ने अपने वादे पूरे नहीं किया है. उन्होंने NOTA को No Till Ulternative करार दिया है.
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शुरुआती जीवन
योगेंद्र यादव का बचपन हरियाणा के रेवारी गांव में बीता. पिता देवेंद्र यादव उनको सलीम और उनकी बहन नीलम को नजमा कहकर पुकारते थे. देवेंद्र यादव के पिता कॉलेज में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर थे. उनके पिता की मौत एक साप्रदायिक दंगे में हो गई. उस वक्त योगेंद्र महज 7 साल के थे. इसके बाद योगेंद्र यादव ने कहा कि हम अपने बच्चों को मुस्लिम नाम से पुकारेंगे.