अगले तीन-चार महीनों के दौरान जहां देश में आम चुनाव (General Election 2019) की प्रक्रिया चलेगी, वहीं नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) सरकार 1 फरवरी को अपना अंतरिम बजट (Intreme Budget) लेकर आएगी. हालांकि यह अंतरिम बजट (Budget 2019-2020) नए वित्त वर्ष की पहली तिमाही तक सीमित रहेगा, लेकिन मोदी सरकार इस बजट (Budget) की स्पीच का दायरा तिमाही से बढ़ाकर आने वाली नई सरकार के कार्यकाल की तीन तिमाहियों पर भी निशाना साधने का काम करने जा रही है. आइए जानें मोदी सरकार द्वारा अब तक पेश किए गए सभी बजट की खूबियों और कमियों के बारे में.
मोदी सरकार का पहला बजट (2014-15)
यह बजट मोदी सरकार ने तीन तिमाही के लिए पेश किया. इससे पहले पूर्व की मनमोहन सिंह सरकार पहली तिमाही का प्रावधान अपने अंतरिम बजट से कर चुकी थी. बजट भाषण में वित्त मंत्री ने कहा कि देश की जनता ने तेज विकास और गरीबी उन्मूलन के लिए नई सरकार चुनी है.अपने पहले भाषण में सरकार ने देश की सवा सौ करोड़ जनता की बेरोजगारी, इंफ्रास्ट्रक्चर और भ्रष्टाचार के खात्मे के साथ कड़े आर्थिक सुधारों को अपनी आर्थिक नीति के केन्द्र में रखने की बात कही.
मोदी सरकार का दूसरा बजट (2015-16)
मोदी सरकार ने दूसरे बजट को संसद में पेश करते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने दावा किया कि एनडीए सरकार ने नौ महीनों के कार्यकाल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने का काम किया है. अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से दौड़ने के लिए तैयार है. जेटली ने यह भी दावा किया कि भारत दुनिया में सबसे तेज दौड़ने वाली अर्थव्यवस्था बन चुका है और खासबात है कि केन्द्र सरकार ने बजट से पहले जीडीपी आंकलन के फॉर्मूले में परिवर्तन किया जिससे नई विकास दर का आकलन 7.4 फीसदी किया गया.
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अपने पहले साल के कार्यकाल के दौरान सरकार ने 12 करोड़ से अधिक परिवारों को आर्थिक मुख्यधारा में लाने का भी दावा किया. इस वार्षिक बजट के जरिए केन्द्र सरकार ने देश में जीएसटी लागू करने और जनधन, आधार और मोबाइल के जरिए डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर को लॉन्च करने के लिए प्रावधान किया.
तीसरा बजट (2016-17)
केंद्र सरकार के तीसरे बजट के सामने विकास के अच्छे आंकड़े थे. बजट से पहले वैश्विक मुद्रा कोष भारत को वैश्विक सुस्ती के बीच चमकता सितारा कह चुका था. मोदी सरकार की सभी बड़ी योजनाएं बजटीय प्रावधान को देख रही थीं. वहीं सरकार के सामने कच्चे तेल की कमजोर कीमतों से हुई बचत को विकास कार्यों में खर्च करने की चुनौती थी.
इसके अलावा इस बजट के जरिए सरकार को सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए भी प्रावधान करना था. इनके अलावा, कृषि क्षेत्र के सामने गंभीर समस्या खड़ी थी. लगातार दो साल से कमजोर मानसून के चलते किसानों के समस्या और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लिए धन का प्रावधान करने का दबाव था.
मोदी सरकार का चौथा बजट: 2017-18
मोदी सरकार ने अपने चौथा बजट देश में नोटबंदी लागू करने के बाद किया. जहां नवंबर 2016 में नोटबंदी के जरिए सरकार ने कालेधन पर लगाम के लिए सर्वाधिक प्रचलित 500 और 1000 रुपये की करेंसी को प्रतिबंधित कर दिया था वहीं 2000 रुपये के नए नोट का संचालन किया था. इसके चलते वार्षिक बजट के सामने बाजार में कमजोर पड़ती मांग सरकार के लिए बड़ी चुनौती थी.
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खासबात है कि इससे पहले के दोनों बजटों में किए प्रावधानों के बाद जहां देश की जीडीपी ग्रोथ को मजबूती मिली थी, जबकि इस बजट से पहले नोटबंदी ने रफ्तार पर ब्रेक लगाने का काम किया. इसके अलावा वैश्विक स्तर पर इस बजट से पहले कच्चे तेल की कीमतों से सरकार के राजस्व पर दबाव बढ़ने लगा था और बजट के बाद ही जुलाई 2017 में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स लागू करने की चुनौती थी.
मोदी सरकार का पांचवां बजट (2018-19)
यह मोदी सरकार का आखिरी पूर्ण बजट था. इस बजट से पहले केन्द्र सरकार के सामने 8 राज्यों में चुनाव के साथ-साथ साल के अंत में लोकसभा चुनाव का सामना करने की चुनौती थी. लिहाजा, इस बजट को लोकलुभावन बनाते हुए सरकार के सामने अपनी फ्लैगशिप योजनाओं के लिए पर्याप्त बजटीय प्रावधान करने की चुनौती थी. हालांकि बजट ने मध्य वर्ग को मायूस किया.
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बजट में सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा के तहत 50 करोड़ लोगों को 5 लाख रुपये तक का स्वास्थ्य बीमा देने की घोषणा की और 250 करोड़ रुपये टर्नओवर वाली कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट टैक्स की दर 25 फीसदी तय की.
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चुनावों के मद्देनजर जहां सरकार ने इस बजट के जरिए किसानों की आमदनी को दोगुना करने की कवायद की वहीं, सभी के लिए घर की परियोजना के लिए बड़ा प्रावधान किया गया. बजट में सरकार ने 37 लाख घरों के निर्माण के लिए सरकारी मदद का ऐलान किया.
Source : News Nation Bureau