Interim Budget 2024: फरवरी महीने के पहले दिन यानी 1 फरवरी को 2024-25 का अंतरिम बजट पेश होने जा रहा है. इस बजट को लेकर आम आदमी और कॉरपोरेट जगत में काफी उम्मीदें हैं. यह बजट ऐसे समय आ रहा है जब देश की आर्थिक व्यवस्था वैश्विक आर्थिक चुनौतियों का सामना कर रही है. इस बजट को लेकर सरकार ने शुरुआती महीनों के लिए वित्तीय रोडमैप तैयार कर लिया है. आपको बता दें कि यह बजट लोकसभा चुनाव से ठीक पहले पेश होने जा रहा है.
इस बजट को आकर्षक बजट भी कहा जाता है क्योंकि सरकार लोगों को आकर्षित करने के लिए कई ऐसी योजनाएं लाती है जिसका सीधा असर लोगों पर पड़ता है. हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, भारी उम्मीदों के बावजूद इस साल के अंतरिम बजट में कोई बड़ी घोषणा होने की संभावना नहीं है. हम आपको ऐसी पांच जानकारी देने जा रहे हैं, जो बजट में शामिल नहीं हो सकता है.
मेजर पॉलिसी में हो सकता है बदलाव?
लोकसभा चुनाव नजदीक आते ही यह कयास लगाए जा रहे हैं कि वित्त मंत्री कोई महत्वपूर्ण नीतिगत बदलाव या वित्तीय सुधार लाएंगी. जैसा कि पहले निर्मला सीतारमण ने संकेत दिया था, बजट मुख्य रूप से लॉग टर्म इकोनॉमिक स्ट्रेटेजी के बजाय इमीडिएट एक्सपेंडिचर होगा.
मिल सकती है इनकम टैक्स से राहत?
टैक्स स्ट्रक्चर में मेन सुधार आमतौर पर पूर्ण बजट के लिए आरक्षित होते हैं. इसलिए महत्वपूर्ण टैक्स कटौती या ओवरहाल की उम्मीद करने वाले व्यक्तियों और निगमों को वर्ष के अंत में व्यापक बजट पेश होने तक इंतजार करना पड़ सकता है.
क्या आएंगी नई कल्याणकारी योजनाएं?
इस बजट के दौरान सोशल सेक्टर की योजनाओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा, अंतरिम बजट के दौरान नए बड़े पैमाने पर वेलफेयर कार्यक्रम शुरू करने की संभावना नहीं है. ऐसी किसी भी पहल के लिए व्यापक फाइनेंशियल कमिटमेंट्स की आवश्यकता होगी जो चुनाव के बाद पूर्ण बजट चर्चा के लिए अधिक उपयुक्त हों.
सरकार अग्रेसिव रूप से नहीं बढ़ा सकती है राजकोषिय घाटे
सरकार अंतरिम बजट में राजकोषिय घाटे को अग्रेसिव रूप से नहीं बढ़ा सकती है. इसमें सरकार के पास चुनाव से पहले तक के खर्चे को स्टेबल करने से संबंधित नियम तैयार करने की अनुमति होती है.
सरकार तय सीमा तक करती है खर्च
अंतरिम बजट किसी नए फाइनेंशियल नियम को लागू करने या उसके लिए कोई नए नियम तैयार करने की अनुमति नहीं देता है. ऐसे निर्णय पूर्ण बजट में लिया जाता है, जिसे एक वित्त वर्ष के लिए पेश किया जाता है. उसमें भी आम बजट एक लंबे डिबेट के बाद संसद से पास होता है. चूंकि अंतरिम बजट में समय कम होता है और यह चुनाव से पहले तक के खर्चे के लिए होता है, इसलिए सरकार इसमें तय नियम के मुताबिक खर्चे करती है.
Source : News Nation Bureau