Budget 2022 : 1 फरवरी को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण( Nirmala Sitaraman) संसद में आम बजट (Budget 2022) पेश करेंगी. कोरोना महामारी को देखते हुए लोगों की उम्मीदें मोदी सरकार से पहले से कई ज्यादा हैं. आर्थिक प्रगति को दौड़ाने के लिए नई-नई योजनाएं और फंडिंग मिलेंगी. इस बार का बजट भी पिछले की तरह पूरी तरह से डिजिटल होगा और बजट कॉपी में नहीं देखने को मिलेंगे. अब यह पूरी तरह से डिजिटल (Digital Budget) हो गया है. यह लगातार चौथा मौका होगा, जब सीतारमण बजट पेश करेंगी. वहीं यह मोदी राज का 10वां बजट होगा. आइये जानते हैं ऐसे ही कुछ बजट से जुड़ी रोमांचक बातें.
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-भारत में पहली बार बजट 7 अप्रैल, 1860 को पेश किया गया था. ईस्ट इंडिया कंपनी से जुड़े स्कॉटिश अर्थशास्त्री एवं नेता जेम्स विल्सन ने ब्रिटिश साम्राज्ञी के समक्ष भारत का बजट पेश किया गया था.
-स्वतंत्र भारत का पहला बजट 26 नवंबर, 1947 को पेश किया गया था. तत्कालीन वित्त मंत्री आर के षण्मुखम चेट्टी ने यह बजट पेश किया था.
-भारत के इतिहास में बजट पेश करने वाली दूसरी महिला हैं. यह रिकॉर्ड सीतारमण के ही नाम पर है. उन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 का बजट पेश करते हुए 2 घंटे 42 मिनट लंबा भाषण दिया था. इस दौरान उन्होंने 2 घंटे एवं 17 मिनट लंबे भाषण के रिकॉर्ड को तोड़ा था। उनके पहले इंदिरा गाँधी बजट पेश कर चुकी हैं.
-मनमोहन सिंह के 1991 में दिए गए बजट भाषण में कुल 18,650 शब्द थे. उसके बाद दूसरा स्थान अरुण जेटली का है बजट भाषण में 18,604 शब्द थे.
-सबसे छोटा भाषण तत्कालीन वित्त मंत्री हीरुभाई मुलजीभाई पटेल ने 1977 में सिर्फ 800 शब्दों वाला बजट भाषण पेश किया था.
-सबसे ज्यादा बार बजट पूर्व प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई ने पेश किये हैं. इन्होने 1962-69 के बीच वित्त मंत्री रहते हुए सर्वाधिक 10 बार बजट पेश किया.
-यशवंत सिन्हा ने 1999 में सुबह 11 बजे कर दिया था.
-बजट भाषण की तारीख बदलने की बात करें तो अरुण जेटली ने 2017 में बजट भाषण एक फरवरी को पेश किया. उसके बाद से बजट एक फरवरी को ही सुबह 11 बजे पेश किया जाता है.
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-वर्ष 1955 तक बजट सिर्फ अंग्रेजी में ही पेश किया जाता था लेकिन कांग्रेस सरकार ने इसे अंग्रेजी और हिंदी दोनों में ही पेश करना शुरू कर दिया था.
-कोविड-19 महामारी आने के बाद वर्ष 2021-22 का बजट पेपर लैस था.
-वर्ष 2017 तक रेल बजट और आम बजट अलग-अलग पेश किए जाते थे. लेकिन 2017 में रेल बजट को आम बजट के सतह ही पेश किया जाने लगा.
-1950 तक बजट से जुड़े फैसले राष्ट्रपति भवन में होते थे लेकिन इसके लीक होने के बाद इसके फैसले नई दिल्ली के मिंटो रोड स्थित प्रेस में होने लगे. फिर 1980 में वित्त मंत्रालय के अंदर ही सरकारी प्रेस में इसके फैसले लिए जाने लगे.
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Source : News Nation Bureau