Budget 2020: केंद्र की नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) सरकार 1 फरवरी को बजट पेश करने जा रही है. वित्त मंत्री (Finance Minister) निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) दूसरी बार आम बजट पेश करेंगी. बता दें कि मोदी सरकार (Modi Government) के दूसरे कार्यकाल का यह दूसरा बजट होगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 5 जुलाई 2019 को पहली बार आम बजट पेश किया था. बजट में कई ऐसे आंकड़ों का जिक्र होता है जिसका पूरी अर्थव्यवस्था (Economy) पर असर पड़ता है. आज की इस रिपोर्ट में हम वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit) को समझने की कोशिश करेंगे कि वो क्या है और अर्थव्यवस्था में इसका का रोल है.
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क्या होता है वित्तीय घाटा
बजट भाषण में वित्तीय घाटे से जुड़े आंकड़े सबसे ज्यादा अहमियत रखते हैं. दरअसल, वित्तीय घाटा (Fiscal Deficit) के तहत सरकार जितनी कमाई करती है. मतलब यह कि टैक्स आदि के जरिए जितना भी पैसा वसूल करती है, अगर वह उससे ज्यादा खर्च कर देती है तो कमाई और खर्च के बीच के अंतर को ही वित्तीय घाटा कहा जाता है.
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वित्तीय घाटे को कम करने के तरीके
सरकार वित्तीय घाटे की भरपाई के लिए कर्ज लेकर, बॉन्ड या सिक्टोरिटीज जारी करती है. इन तरीकों से पैसा जुटाकर सरकार वित्तीय घाटे की भरपाई करने की कोशिश करती है. यहां आपको इस बात का पता होना चाहिए कि अगर वित्तीय घाटा बढ़ता है तो इसका सीधा अर्थ है कि सरकार की उधारी बढ़ रही है. ऐसी स्थिति में सरकार को ज्यादा से ज्यादा ब्याज की अदाएगी करनी पड़ेगी.
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इसीलिए अधिकतर अर्थशास्त्री वित्तीय घाटे को काबू में करने की वकालत करते हैं. गौरतलब है कि 1 फरवरी को पेश होने वाले बजट से बुलियन, कृषि, ऑटोमोबाइल, कपड़ा, बैंकिंग, इंफ्रास्ट्रक्टर, शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड सेक्टर को काफी उम्मीदें हैं.