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Budget 2024: क्या होता है Robot Tax, जिसे लगाए जाने की क्यों उठी मांग, जानिए लागू हुआ तो क्या पड़ेगा असर?

वित्त वर्ष 2024-25 के बजट पेश होने में महज तीन दिन ही शेष बचे हैं. स्वदेशी जागरण मंच ने देश में 'रोबोट टैक्स' को लागू करने की मांग उठाई है. आइए जानते हैं कि ये रोबोट टैक्स क्या है?

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Ajay Bhartia
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कंपनी में काम करते हुए रोबोट( Photo Credit : Social Media)

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Union Budget 2024: वित्त वर्ष 2024-25 के बजट पेश होने में महज तीन दिन ही शेष बचे हैं. बजट में क्या-क्या होना चाहिए इसको लेकर तमाम संगठनों ने अपनी-अपनी मांगें रखी हैं. ऐसा ही एक सगंठन स्वदेशी जागरण मंच (एसजेएम) है, जिसने देश में 'रोबोट टैक्स' को लागू करने की मांग उठाई है. अब सवाल उठते हैं कि आखिर ये रोबोट टैक्स क्या है, इसको लगाए जाने की मांग SJM ने क्यों उठाई. अगर यह देश में लागू हुआ तो इसका आपके जीवन पर क्या असर पड़ेगा. आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं. बता दें कि स्वदेशी जागरण मंच राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ (आरएसएस) का एक सहयोगी संगठन है.

क्या होता है रोबोट टैक्स?

दुनियाभर में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (आईए) और मशीन लर्निंग (एमएल) बहुत तेजी से पैर पसार रहे हैं. AI और ML ने रोबोटिक्स की ताकत को कई गुना बढ़ा दिया है. दूसरे शब्दों में कहें तो इन्होंने रोबोट्स में जान फूंक दी है. यही वजह है कि रोबोट्स धीरे-धीरे इंसानों की जगह लेते जा रहे हैं. वे कई तरह के काम करने में सक्षम हैं. इंडस्ट्रीज में रोबोट्स का इस्तेमाल खासकर मैनुफैक्चरिंग, एसेम्लिंब, पैकिंग, ट्रांसपोर्ट, अर्थ और स्पेस एक्सप्लोरेशन, सर्जरी, लेबोरेटरी रिसर्च, उत्पादों के मास प्रोडक्शन, स्प्रे पेंटिंग, क्लीनिंग आदि कामों के लिए होता है.

रोबोट टैक्स एक ऐसी रणनीति है, जिसका मकसद वर्कर्स की जगह मशीनों से काम कराए जाने के प्रयासों को कम करना है. ताकि ऐसे लोगों की सोशल सिक्योरिटी का ख्याल रखा जा सके. उनका रोजगार चलता रहे. एक स्टडी में पाया गया है कि अमेरिका में 47 फीसदी वर्कफोस ऑटोमेटेबल है. वहीं, 21 OECD देशों में यह आंकड़ा 9 फीसदी है. आज भारत में भी कई कंपनियों में रोबोट्स से काम लिया जा रहा है. रोबोट टैक्स लगाए जाने का सुक्षाव विवादास्पद रहा है. कंपनियां इसके विरोध में रहती हैं. उनका तर्क है कि रोबोट टैक्स लगाए जाने से इनोवेशन और आर्थिक विकास में बाधा आएगी.

रोबोट टैक्स की मांग क्यों उठी?

आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग और रोबोटिक्स की वजह से दुनियाभर में लोगों के रोजगार पर असर पड़ा है. इसी को देखते हुए स्वदेशी जागरण मंच ने ये मांग उठाई है. उसका तर्क है कि जो कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और रोबोट का इस्तेमाल कर रही हैं. उसके कारण कर्मचारियों को अपनी नौकरी गंवानी पड़ रही हैं. ऐसे में उन कंपनियों से सरकार को रोबोट टैक्स वसूलना चाहिए और नौकरी गंवाने वाले कर्मचारियों को मदद पहुंचाना चाहिए. 

लागू हुआ तो क्या पड़ेगा असर?

देश में अभी रोबोट टैक्स को लगाया जाना अभी सुक्षाव के स्तर पर ही है. हालांकि अगर वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण बजट-2024-25 में इसको लगाए जाने पर विचार करती हैं, तो इसका असर पड़ेगा. यह एक बड़ा सवाल है. जिस तरह से एक सिक्के के दो पहलू होते हैं, वैसे ही रोबोट टैक्स लगाए जाने के लाभ और हानि हो सकते हैं. एक तरफ जब कंपनियों पर रोबोट टैक्स लगाया जाएगा तो वे ऑटोमेशन पर निर्भर रहने के बजाय कर्मचारियों को काम पर रखेंगी. इससे उनके रोजगार की समस्या खत्म होगी. वहीं दूसरी ओर कंपनियां इस टैक्स का बोझ ग्राहकों पर ही डाल सकती हैं, जिससे उन्हें महंगी चीजें खरीदनी पड़ सकती हैं.    

Source : News Nation Bureau

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