बाढ़ और भारी बारिश के कारण इस साल महाराष्ट्र, बिहार और कर्नाटक में खरीफ फसलों को हुए नुकसान के कारण उत्पादन में चार से छह फीसदी की गिरावट आ सकती है. यह आकलन रेटिंग व रिसर्च कंपनी क्रिसिल (CRISIL) की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में किया गया है. क्रिसिल का अनुमान है कि फसल वर्ष 2019-20 (जुलाई-जून) में खरीफ फसलों के उत्पादन में पिछले साल के मुकाबले चार से छह फीसदी की गिरावट आ सकती है.
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मंडियों में आवक 38 फीसदी घटी
रिपोर्ट के अनुसार, खरीफ सीजन के दौरान बुवाई में विलंब होने के कारण फसलों की तैयारी में भी विलंब हो गया जिसके कारण मंडियों में आवक में 38 फीसदी की गिरावट आ गई, लिहाजा कीमतों में भारी तेजी आई है. इस प्रकार महंगाई बढ़ने से देश के आम लोगों पर असर पड़ा है.
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क्रिसिल ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि सितंबर-अक्टूबर के दौरान भारी बारिश होने के कारण खरीफ फसलों का उत्पादन पिछले साल से चार से छह फीसदी घट सकता है, लेकिन मानसून के दौरान बारिश सामान्य से 10 फीसदी ज्यादा रहने से जलाशयों में पानी भरा हुआ है जिससे रबी फसलों की पैदावार बढ़ने से उत्पादन में इस साल सात से आठ फीसदी की वृद्धि होने की संभावना है.
रबी फसलों का रकबा पिछले साल से 5 फीसदी ज्यादा बढ़ा
रबी (Rabi Crop Sowing 2019) फसलों की बुवाई के लिए इस साल मौसमी दशाएं अनुकूल होने और खेतों में पर्याप्त नमी रहने के कारण गेहूं, जौ, चना समेत कई फसलों का रकबा पिछले साल के मुकाबले ज्यादा हो चुका है, जबकि सभी रबी फसलों का कुल रकबा पिछले साल से 5.13 फीसदी बढ़ चुका है. हालांकि तिलहनों और दलहनों का कुल रकबा पिछले साल से पिछड़ा हुआ है. केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय की ओर से पिछले सप्ताह जारी रबी फसलों की बुवाई के आंकड़ों के अनुसार, देशभर में गेहूं की बुवाई 248.03 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है जो कि पिछले साल की इस अवधि के रकबे 226.25 लाख हेक्टेयर से 21.78 लाख हेक्टेयर यानी 9.62 फीसदी ज्यादा है.
Source : आईएएनएस