बिजली संयंत्रों (Thermal Plant) को गर्मी में बढ़ती मांग के बीच पर्याप्त मात्रा में कोयले (Coal Crisis) की आपूर्ति न होने से देश के कई राज्यों को बिजली की किल्लत का सामना करना पड़ सकता है. एसएंडपी के मुताबिक रूस (Russia) और यूक्रेन (Ukraine) के बीच जारी युद्ध के कारण वैश्विक स्तर पर कोयले की कीमतों में तेजी बनी हुई है. इसके कारण आपूर्ति संकट भी गहरा गया है. आपूर्ति बाधा और कीमतों में तेजी के बीच यूरोप (Europe) में कोयले की मांग बढ़ गयी है, जिससे कोयले का आयात महंगा हो गया है. यह संकट कुछ-कुछ बीते साल के अक्टूबर महीने जैसा हो गया है.
अक्टूबर जैसा गहरा रहा है संकट
एसएंडपी का कहना है कि अप्रैल में कोयले का भंडार अक्टूबर 2021 के कोयला आपूर्ति संकट के समान होता जा रहा है, जब देश के 115 बिजली संयंत्रों का कोयला भंडार आपात स्तर से कम हो गया था. महाराष्ट्र राज्य बिजली वितरण कंपनी लिमिटेड ने गत 31 मार्च को नोटिस जारी किया था कि राज्य में कृषि क्षेत्र की बिजली आपूर्ति में अस्थायी रूप से कटौती की जायेगी. इसी तरह मध्यप्रदेश, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, हरियाणा और झारखंड में भी आपूर्ति संकट देखा गया.
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पूंजीगत व्यय के बावजूद भंडार में कमी
कोल इंडिया ने 28 मार्च को बताया था कि एक अप्रैल तक उसका कोयला भंडार छह करोड़ मिट्रिक टन से अधिक हो सकता है. यह गत साल की समान अवधि की तुलना में 39.39 प्रतिशत कम है. बिजली संयंत्रों में कोयले का भंडार 28 मार्च को 25.5 मिलियन मिट्रिक टन था, जो गत साल की तुलना में करीब 13 फीसदी कम है. गौरतलब है कि कोल इंडिया ने कहा है कि उसने अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिये वित्त वर्ष 22 में पूंजीगत व्यय में 1,550 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की. वित्त वर्ष 21 में कंपनी का पूंजीगत व्यय 13,284 करोड़ रुपये था, जो गत वित्त वर्ष बढ़कर 14,834 करोड़ रुपये हो गया.
HIGHLIGHTS
- यूरोप में कोयले की मांग बढ़ी, जिससे कोयले का आयात हुआ महंगा
- कोयले का भंडार अक्टूबर 2021 के कोयला आपूर्ति संकट के समान
- एमपी, जम्मू कश्मीर, लद्दाख, पंजाब, हरियाणा और झारखंड में संकट