हमने पिछले दिनों बालाघाट जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र बिरसा की ग्राम पंचायत गोवारी के एक किसान की मेहनत से बंजर भूमि पर काजू की खेती किये जाने की खबर प्रमुखता से दिखाई थी जिसका असर हुआ है. इस खबर को देख कोच्चि में स्थित काजू एवं कोको विकास निदेशालय, भारत सरकार के निदेशक डॉ वेंकटेश एन हुबल्ली अपनी टीम के साथ बिरसा विकासखंड पहुंचे. गांव देवरीमेटा में जंगला जलाशय से लगी बंजर एवं पहाड़ी जमीन पर की गई काजू की खेती का निरीक्षण किया. इसके बाद उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र की जलवायु काजू की खेती के अनुकूल है. यहां के आदिवासी ग्रामीण जिनके पास संसाधनों की कमी है उनके लिए काजू की खेती फायदेमंद साबित होगी.
भारत सरकार काजू की खेती के लिए कर रही है मदद
काजू एवं कोको निदेशालय के निदेशक वेंकटेश एन हुबल्ली ने कहा कि काजू की खेती में कम लागत और अधिक लाभ मिलता है. भारत सरकार का कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय इस दिशा में हर तरह के सहयोग हेतु तैयार है.
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बंजर जमीन पर हो रही काजू की खेती
बता दें कि जिस जमीन पर किसान ने मनरेगा की मदद से काजू की खेती की है वह सिंचाई विभाग की है. ग्राम पंचायत गोवारी के लोगों ने सोचा कि इस बंजर बेकार पड़ी जमीन का उपयोग किसी अच्छे कार्य में होना चाहिए, जिससे ग्रामीणों को आमदनी हो. ऐसे में उद्यान विभाग के अधिकारी हरगोविंद धुवारे ने ग्राम पंचायत के सरपंच भगत सिंह परते एवं सचिव संतोष टेंभरे को सलाह दी कि वे इस बंजर जमीन पर काजू के पौधे लगायें. इस क्षेत्र की जलवायु काजू के पौधों के लिए पूरी तरह से अनुकूल है.
42 एकड़ बंजर जमीन पर पौधा रोपण किया गया
42 एकड़ की पहाड़ी एवं बंजर जमीन पर पौध रोपण के लिए गांव के शिखर नाम के समूह ने बहुत योगदान दिया. मनरेगा से लगभग 13 लाख रुपये की राशि खर्च कर गड्ढे खोदे गये और उसके चारों ओर फेंसिंग, ट्रेंच का निर्माण किया गया और हायब्रिड काजू के 1500 पौधे क्रय कर लाये गये. शिखर समूह के लोगों ने काजू के पौध रोपण के लिए लगभग 3 लाख रुपये का श्रमदान भी किया.
पांच साल पर एक बार काजू का पौधा देता है फल
काजू के पौधें में वैसे तो पांच साल के बाद ही फल आता है, लेकिन ग्राम पंचायत गोवारी द्वारा देवरीमेटा में लगाये गये पौधों में दो साल में ही फल लग गये है. पहली बार इस वर्ष काजू के फल लगे तो गांव वाले भी खुश हो गये है. पहली बार में ही एक क्विंटल काजू की फसल हो गई है.
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पौधों की सुरक्षा एवं संरक्षण पर दिया गया विशेष ध्यान
ग्राम पंचायत के सचिव संतोष टेंभरे ने बताया कि देवरीमेटा में लगाये गये काजू के पौधों की सुरक्षा एवं संरक्षण पर अब विशेष ध्यान दिया जायेगा. क्योंकि अब उनमें फल आना प्रारंभ हो गया है. यह पहला सा था इसलिए लगभग एक क्विंटल काजू ही निकला है, लेकिन आने वर्ष में काफी अधिक मात्रा में काजू का उत्पादन प्राप्त होगा. शिखर समूह द्वारा हरित भूमि के लिए की गई पहल के अब सार्थक परिणाम आने लगे है.