ईरान से भुगतान की समस्या के कारण भारत के बासमती चावल निर्यात (Basmati Rice Export) पर इस साल असर पड़ा है. भारत का बासमती चावल निर्यात चालू वित्त वर्ष के शुरुआती नौ महीने में पिछले साल के मुकाबले तकरीबन तीन फीसदी घट गया है. वहीं, गैर-बासमती चावल के निर्यात में 36.5 फीसदी की गिरावट आई है. गैर-बासमती चावल का निर्यात घटने की वजह के संबंध में कारोबारी बताते हैं कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारत का गैर-बासमती चावल अन्य देशों के चावल के मुकाबले महंगा है, जिसके कारण इसकी मांग कम है. हालांकि यह बात बासमती चावल पर लागू नहीं होती है, क्योंकि बासमती चावल का भारत का अपना एक बाजार है, जहां इसकी स्पर्धा किसी अन्य देशों से नहीं है.
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अप्रैल से दिसंबर तक करीब 297.75 करोड़ डॉलर मूल्य का बासमती चावल एक्सपोर्ट
केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2019-20 के शुरुआती नौ महीने यानी अप्रैल से लेकर दिसंबर तक भारत ने करीब 297.75 करोड़ डॉलर मूल्य का बासमती चावल निर्यात किया, जोकि पिछले वित्त वर्ष की इसी अविध के करीब 306.51 करोड़ डॉलर के मुकाबले 2.86 फीसदी कम है. वहीं, गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-दिसंबर के दौरान 145.28 करोड़ डॉलर मूल्य का हुआ है, जोकि पिछले साल की इस अवधि के निर्यात 228.96 करोड़ डॉलर से 36.55 फीसदी कम है.
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ईरान से भुगतान को लेकर आ रही समस्या से एक्सपोर्ट में आई कमी
कृषि एवं प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण के अंतर्गत आने वाले बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन के निदेशक ए. के. गुप्ता ने बताया कि ईरान से भुगतान को लेकर आ रही समस्या के कारण बासमती चावल का निर्यात सुस्त चल रहा है. ईरान बासमती चावल का मुख्य खरीददार है और अमेरिका द्वारा ईरान पर प्रतिबंध लगाए जाने के कारण वहां का व्यापार प्रभावित हुआ है.
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कारोबारियों ने भी बताया कि ईरान को पिछले दिनों बासमती चावल का जो निर्यात हुआ है, उसका भुगतान नहीं हो रहा है, जिसके कारण इस साल निर्यात पर असर पड़ा है. बासमती चावल कारोबारियों का अनुमान है कि इस साल देश में बासमती चावल का उत्पादन तकरीबन 80-82 लाख टन होगा.