भारत के बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष के शुरुआती सात महीने में 10 फीसदी घट गया है, जबकि गैर-बासमती चावल के निर्यात में 37 फीसदी की गिरावट आई है. कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (Agricultural & Processed Food Products Export Development Authority-APEDA) से मिली जानकारी के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान भारत ने करीब 20 लाख टन चावल का निर्यात किया जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान देश से 22 लाख टन बासमती चावल का निर्यात हुआ था. इस प्रकार पिछले साल के मुकाबले बासमती चावल के निर्यात में 10 फीसदी की गिरावट आई है.
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अप्रैल-अक्टूबर तक 15,564 करोड़ रुपये मूल्य का बासमती चावल निर्यात
बासमती चावल (Basmati Rice) के निर्यात को अगर रुपये के मूल्य के रूप में देखा जाए तो अप्रैल से लेकर अक्टूबर तक भारत ने 15,564 करोड़ रुपये मूल्य का बासमती चावल निर्यात किया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान बासमती चावल का निर्यात 16,963 करोड़ रुपये का हुआ था. वहीं, डॉलर के मूल्य में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 222.5 करोड़ डॉलर मूल्य निर्यात हुआ जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान 247.9 करोड़ डॉलर मूल्य का बासमती चावल निर्यात हुआ था.
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ईरान को नहीं हो रहा बासमती चावल का एक्सपोर्ट
एपीडा के तहत आने वाले बासमती एक्सपोर्ट डेवलपमेंट फाउंडेशन (BEDF) के निदेशक ए. के. गुप्ता ने बताया कि इस समय ईरान को बासमती चावल का निर्यात नहीं हो रहा है, जिसके कारण निर्यात में कमी आई है. मालूम हो कि ईरान ने भारत से बासमती चावल का आयात करने पर पिछले कुछ समय से रोक लगा दी है. उन्होंने बताया कि इससे पहले ईरान को जो निर्यात हुआ उसका भुगतान भी नहीं हो रहा है.
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अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 28.1 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात
वहीं, अप्रैल-अक्टूबर के दौरान 28.1 लाख टन गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ, जबकि पिछले साल इसी अवधि के दौरान गैर-बासमती चावल का निर्यात 44.8 लाख टन था. वहीं, रुपये के मूल्य के रूप में भारत ने इस साल अप्रैल से अक्टूबर तक 8,013 करोड़ रुपये का गैर-बासमती चावल का निर्यात हुआ जबकि पिछले साल इसी अवधि में 12,487 करोड़ रुपये का गैर-बासमती चावल निर्यात हुआ था. गैर-बासमती चावल का निर्यात चालू वित्त वर्ष में पिछले साल के मुकाबले करीब 37 फीसदी घट गया है. बताया जा रहा है कि भारत का गैर-बासमती चावल दुनिया के बाजारों में महंगा होने के कारण इसकी निर्यात मांग कम है.
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आल इंडिया राइस एक्सपोर्ट एसोसिएशन (AIRAI) के पूर्व प्रेसिडेंट एवं महारानी राइस के एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर विजय सेतिया के मुताबिक विभिन्न राज्यों में अलग-अलग टैक्स स्ट्रक्चर और ब्याज दरें होने की वजह से एक्सपोर्ट प्रभावित हुआ है. उनका कहना है कि यूरोपीय देशों को भेजे जाने वाले चावल को भारत सरकार ने अपने द्वारा पूर्व निर्धारित लैब्स में ही प्री टेस्टिंग करानी जरूरी है. इस तरह के कदम से भी एक्सपोर्ट पर नकारात्मक असर पड़ा है. इसके अलावा भारत सरकार की दोहरी नीति भी काफी हद तक जिम्मेदार है. ब्रांडेड चावल पर जहां 5 फीसदी GST है, वहीं नॉन ब्रांडेड चावल पर जीरो GST है. सरकार को इस पर ध्यान देने की जरूरत है. (इनपुट आईएएनएस)